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Written By WD

वेबदुनिया को 'अक्षरम् हिन्दी प्रौद्‍योगिकी सम्मान'

हमने बनाया भाषा और तकनीक का सेतु-पंकज जैन

वेबदुनिया को ''अक्षरम् हिन्दी प्रौद्‍योगिकी सम्मान'' -
विश्व के पहले हिन्दी पोर्टल वेबदुनिया.कॉम को राजधानी में आयोजित छठे अंतररराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव-2008 में 'अक्षरम् हिन्दी प्रौद्‍योगिकी सम्मान' से नवाजा गया। वेबदुनिया पोर्टल हिन्दी समेत भारत की नौ भाषाओं में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहा है।

'अक्षरम्' द्वारा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), साहित्य अकादमी तथा उत्तरप्रदेश भाषा संस्थान के सहयोग से एक से तीन फरवरी आयोजित हिन्दी उत्सव में हिन्दी से जुड़े करीब 400 संस्थानों, भाषाविदों, लेखकों, कवि व संपादकों ने हिस्सा लिया।

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यह सम्मान वेबदुनिया के अध्यक्ष और मुख्‍य परिचालन अधिकारी (सीओओ) श्री पंकज जैन को इंटरनेट की दुनिया में 'वेबदुनिया' द्वारा हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं के उपयोग व विकास के लिए दिया गया है। हिन्दी सचिवालय की महासचिव श्रीमती विनोद बाला अरुण ने श्री जैन को यह सम्मान प्रदान किया।

श्री जैन ने इस अवसर पर कहा कि भाषा और तकनीक के प्रति जो दृष्टिकोण वेबदुनिया ने अपनाया, वह वर्तमान में फलीभूत हो रहा है। यह खुशी की बात है कि भाषा और तकनीक को जोड़ने के लिए वेबदुनिया ने जिस सेतु को कायम किया, आज सब उसी राह पर चलना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुरस्कार हमें इस मार्ग पर चलने के लिए सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

वेबदुनिया को भारत का सबसे बड़ा पोर्टल बनाने के प्रयासों के बारे में बताते हुए जैन ने कहा कि इस सम्मान का श्रेय वे अपने लाखों पाठकों को देते हैं। उन्होंने कहा कि वेबदुनिया इसी तरह अपने उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भारत के भाषाई पाठकों को सुविधाएँ प्रदान करता रहेगा।

'हिन्दी और प्रौद्‍योगिकी' सत्र के विशिष्ट अतिथि और वेबदुनिया के संपादक श्री जयदीप कर्णिक ने सूचना प्रौद्‍योगिकी में हिन्दी के बढ़ते प्रभाव पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि ज्यादा बेहतर होगा यदि हिन्दी को भाषाई अस्मिता की वजह से बढ़ावा मिले। अन्य विद्वानों ने हिन्दी के बढ़ते प्रभाव के लिए बढ़ते बाजारवाद को कारण बताया।

श्री कर्णिक ने वेबदुनिया के तकनीकी विकास की चर्चा करते हुए बताया कि यूनीकोड में वेबदुनिया के प्रवेश के बाद अब इसे 9 भाषाओं में कम्प्यूटर पर बिना फॉन्ट डाउनलोड किए देखा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि विकसित तकनीक व श्रेष्ठ कन्टेंट के कारण हमें नित नए पाठक मिल रहे हैं और दिनोदिन इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। हिन्दी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम में विभिन्न सेवाएँ उपलब्ध करा रहे वेबदुनिया पोर्टल के यूजर्स दुनिया के कोने-कोने में फैले हैं।

हिन्दी उत्सव के दौरान विभिन्न सत्रों में अलग-अलग विषयों पर विद्वानों ने चर्चा में भागीदारी की। डॉ. वेदप्रताप वैदिक, आलोक मेहता, अच्युतानंद मिश्र, डॉ. महीपसिंह, अशोक वाजपेयी, अशोक चक्रधर, डॉ. कुँवर बेचैन, डॉ. रमदरश मिश्र, प्रभाकर श्रोत्रिय, मनोज श्रीवास्तव (आईएएस), प्रो. हरमन वॉन ऑलफन (टेक्सास विवि, अमेरिका), लल्लन प्रसाद व्यास, ज्ञानेश्वर मुले, बीएल गौड़, डॉ. हरिकृष्ण देवसरे आदि विद्वानों की उपस्थिति ने सम्मेलन को गरिमा प्रदान की।

अन्य सम्मानित व्यक्तित्व : डॉ. कैलाश वाजपेयी (अक्षरम् साहित्य शिखर सम्मान), राहुल देव (अक्षरम् मीडिया शिखर सम्मान), अरविन्द कुमार (अक्षरम् विशिष्ट हिन्दी सेवा सम्मान), महामहिम मुकेश्वर चुन्नी, मॉरीशस (अक्षरम् प्रवासी शिखर सम्मान), जिलियन राइट, ब्रिटेन (अक्षरम् अनुवाद सम्मान), प्रो. हरमन वॉन ऑलफन, अमेरिका (अक्षरम् हिन्दी शिक्षण सम्मान) आदि को सम्मानित किया गया।

वेबदुनिया के बारे में : वेबदुनिया भारत का पहला हिन्दी पोर्टल है, जो विभिन्‍न धर्म, संस्‍कृतियों और आयु वर्ग के लोगों को उनकी अभिरुचि की स्‍तरीय पठनीय सामग्री उपलब्‍ध करवा रहा है।

वेबदुनिया 9 भारतीय भाषाओं में राजनीति, खेल और समसामयिक घटनाओं के ताजातरीन समाचार, बॉलीवुड की खबरें, लाइफ स्‍टाइल, धर्म, विज्ञान, आईटी, करियर, ज्‍योतिष और साहित्‍य के बारे में महत्‍वपूर्ण जान‍कारियाँ और पठनीय सामग्री उपलब्‍ध करवा रहा है। क्रिकेट की लाइव कमेंट्री, टिकर और पोल, बहस इत्‍यादि वेबदुनिया के भाषाई पोर्टल की कुछ अन्‍य महत्‍वपूर्ण विशेषताएँ हैं।

उल्लेखनीय है कि वेबदुनिया हिन्दी के अलावा गुजराती, मराठी, पंजाबी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम भाषा में अपनी सेवाएँ प्रदान करता है।
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