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Written By भाषा

विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियां सतर्क

विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियां सतर्क -
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नई दिल्ली। हवाई अड्डा परिचालकों, कर विभाग और किंगफिशर एयरलाइंस के बीच अपने विमानों को वापस लेने के संबंध में चल रहे अदालती मामलों के कारण विदेशी कंपनियों से पट्टे पर विमान लेने वाली अन्य भारतीय विमानन कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

विमानन क्षेत्र की प्रमुख परामर्श कंपनी सेंटर फॉर एशिया पैसेफिक एविएशन (कापा) ने कहा कि विमान पट्टे पर देने वाली और वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली कंपनियां भारतीय विमानन कंपनियों के प्रति सतर्क रुख अख्तियार कर रही हैं और इनमें से कुछ ने भारतीय कारोबार से हाथ खींचने की भी धमकी दी है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस घटनाक्रम के मद्देनजर नागर विमानन मंत्रालय हवाई अड्डा परिचालकों और सरकारी एजेंसियों को ऐसे दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार कर रही है जिसके तहत विमानन कंपनियों के बकाए के एवज में गिरवी के तौर पर विमान जब्त न करें या इन पर रोक न लगाएं।

उन्होंने बताया कि इन दिशा-निर्देशों के जरिए सरकार हवाई अड्डा परिचालकों और अन्य एजेंसियों को विमानन कंपनी से गिरवी के तौर पर विमान जब्त न करने का निर्देश जारी कर पट्टे पर विमान मुहैया कराने वाली विदेशी कंपनियों को आश्वस्त करना चाहती है ताकि वे भारतीय बाजार से बाहर न निकलें।

अपनी ताजा रिपोर्ट में कापा ने कहा कि असली खतरा यह है कि इससे पट्टे पर विमान लेना और ऋण मंहगा हो जाएगा जिससे पहले से महंगे इस बाजार पर और दबाव बढ़ेगा। पट्टे पर विमान देने वाली कुछ कंपनियों और वित्तीय कंपनियों ने पूरी तरह से भारतीय बाजार से निकलने की धमकी दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक पट्टे पर विमान देने वाली कुछ कंपनियां भारतीय बाजार पर ज्यादा जोखिम वाले प्रीमियम जोड़ने पर विचार कर रही हैं। उन्हें आशंका है कि चूक की स्थिति में अपने विमान और ऋण वसूली की चुनौती बरकरार रहेगी।

अमेरिका की आईएलएफसी और विमानन क्षेत्र को ऋण देने वाले डीवीबी बैंक बाजार की इन चुनौतियों के बारे में सबसे अधिक मुखर रहे हैं। दोनों को किंगफिशर से विमानों को हासिल करने में मुश्किल हो रही है।

जर्मनी के विमानन बैंक समेत कुछ कंपनियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया जिसने हाल में अपने आदेश में कहा कि उक्त कंपनियों का इन विमानों पर अधिकार है। अदालत के इस आदेश के बाद किंगफिशर को दिया गया एयरबस ए-321 वापस आईएलएफसी को दिया गया।

उल्लेखनीय है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकार ने विजय माल्या के नेतृत्व वाले किंगफिशर एयरलाइंस के कई विमानों को जब्त कर लिया था और फैसला किया था कि जब तक कंपनी बकाए का भुगतान नहीं करेगी तब तक ये विमान वापस नहीं किए जाएंगे। इस घटना के बाद आईएलएफसी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। (भाषा)