विकास का अर्थ है आंखों में आंसू न आए : धर्माधिकारी
'गांधी नि:शस्त्रीकरण एवं विकास' पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
इंदौर। न्यायमूर्ति सीएस धर्माधिकारी ने कहा कि विकास का अर्थ है आंखों में आंसू न आए। उन्होंने कहा कि आज हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं वे कुरीतियां हैं। आज विपत्तिशास्त्र की स्थापना हो गई है, जिससे सभी लोगों में विपरीत बुद्धि आ गई है। हमें इसके लिए रास्ता खोजना होगा और इस दकियानूसी सोच के खिलाफ बगावत करने की जरूरत है। वे तीन दिवसीय 'गांधी नि:शस्त्रीकरण एवं विकास' विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर बोल रहे थे।अंतिम दिन न्यायमूर्ति धर्माधिकारी के अलावा वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक, विश्व शांति संगठन के अध्यक्ष टी इक्रालिस तथा जापान से आए यासुओ ओगाथा ने महात्मा गांधी के शांति स्थापित तथा परमाणु नि:शस्त्रीकरण को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। अंतिम दिन का विषय था 'एशियन यूनियन फॉर पीस एंड डेवलपमेंट।' धर्माधिकारी ने कहा कि गांधीजी की अहिंसा को संभालना आसान नहीं है। हमें हिंसा का डटकर सामना करना होगा। दोस्ती की बात करनी होगी। चुप रहने से कातिल को बढ़ावा मिलता है। युद्ध अपने क्षेत्रों में अपना अस्तित्व स्थापित करने का कारण है।उन्होंने कहा कि हमें अपने पिता की कार्बन कॉपी नहीं बनना है। आज के युवा रेसीडेंट नॉन युवा हैं, क्योंकि उनकी आंखें कहीं ओर हैं और वे कहीं ओर। उन्होंने मनुष्य के जीवन, पूरी राजनीति, व्यवस्था, धर्म, कर्म, आजादी, देश तथा आर्थिक नीतियों पर भी बहुत ही कड़े शब्दों में कटाक्ष किया।धर्माधिकारी ने कहा कि कल्चर साथ में रहने से होता है, छोड़ने से नहीं। गांधी को भगवान मत मानिए, नहीं तो हम अपना कार्य छोड़ देंगे। डिक्शनरी में प्रतिशब्द होता है, अर्थ नहीं। व्यक्ति की पहचान उसके व्यक्तित्व से होती है न कि कपड़ों से। दुनिया में रोगियों को दवा नहीं मिलती है जबकि पैसे वाले को दवा आसानी से मिल जाती है, यह हमारी विडंबना है।
पीपुल्स सार्क का गठन हो...आगे पढ़ें..
दक्षिण एशिया शांति संगठन के सदस्य विजय भारती ने कहा कि मैं पिछले 30 सालों से काम कर रहा हूं। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पीपुल्स सार्क का गठन हो और सार्क एक ऐसा संगठन है जिसमें केवल संबंधित देश चर्चा करते हैं और इसमें मुख्य बातें निकलकर सामने नहीं आती हैं।उन्होंने कहा कि हमारा संगठन 2007 में शुरू हुआ जिसमें तीन सेमिनार अलग-अलग देशों में हो चुके हैं। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें समाज के लिए डिटरमाइलाइजेशन, फेडरालाइजेशन, कॉर्पोरेट कंट्रोल तथा लिब्रालाइजेशन पर कार्य हो रहा है। इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों में कार्य हो रहा है। हमारी योजना है सार्क फिल्म फेडरेशन दिल्ली में शुरू करने की। हम पाकिस्तान और भारत को एकसाथ मिलाकर एक संगठन तैयार करने तथा उस पर चर्चा करने का प्रयास कर रहे हैं। प्यार से ही हम पूरा विश्व जीत सकते हैं...आगे पढ़ें..