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Written By भाषा
Last Modified: जयपुर (भाषा) , मंगलवार, 3 नवंबर 2009 (17:24 IST)

लोग सिहर जाते हैं सायरन की आवाज से

लोग सिहर जाते हैं सायरन की आवाज से -
जयपुर के सांगानेर और सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र के बाशिंदों के दिलों में आग की दहशत कुछ इस तरह बैठ गई है कि सायरन की आवाज सुनकर लोग अनहोनी की आशंका में घबड़ा जाते हैं।

सीतापुरा औद्योगिक इलाके में अभी भी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के डिपो में शुक्रवार की शाम हुए आग हादसे की दशहत लोगों के चेहरों पर साफ नजर आ रही है।

सीतापुरा औद्योगिक इलाके और सांगानेर में कल जब एम्बुलेंस घायलों को लेकर सवाई मान सिंह अस्पताल जा रही थी तो कई लोग खिड़कियों और सड़कों पर यह मालूम करने के लिए आ गए कि कहीं फिर कोई हादसा तो नहीं हो गया।

सीतापुरा इलाके में व्यावसायिक गतिविधियाँ शुरू करने की अनुमति मिलने के बाद अपनी क्षतिग्रस्त हुई फैक्ट्री में मरम्मत कार्य करवाने पहुँचे मनोज कुमार ने बातचीत करते समय जैसे ही सायरन बजा बात बीच में ही छोडकर टूटी खिडकी से बाहर देखने लगे ।

उन्होंने कहा कि गनीमत है फिर कोई हादसा नहीं हुआ, अब तो सायरन की आवाज ही दशहत पैदा कर देती है।

बदबूदार गैस के बाद अचानक कान फोड़ू आवाज के साथ उगले आग के गोलों को देखने वाले एक फैक्ट्री के कर्मचारी सुशील कुमार ने कहा कि उस समय को मैं कभी भूला नहीं पाउँगा। मैं तो आज भी यहाँ आना नहीं चाह रहा था, लेकिन मालिक ने फैक्ट्री पहुँचने को कहा, इसलिए बेमन से आया हूँ।

सुशील ने कहा कि मैं घर जाने के लिए साहब का इंतजार कर रहा था। अचानक तेज बदबू आने के बाद तेज धमाके के साथ आग के गोले आसमान में उठते ही मैं बिना कुछ सोचे समझे बदहवास सा दौड़ पड़ा। ...और जब रूका तो रीको कार्यालय के पास था, जहाँ चारों तरफ से भदगड़ सी मची हुई थी।

सीतापुरा औद्योगिक इकाई से लगे सांगानेर के प्रताप नगर निवासी दिनेश कुमार ने कहा कि मैं ऑफिस से घर पहुँचा और छत पर गया तो आग के शोले देखकर काँप उठा। कुछ देर बाद ही टीवी चैनल से आईओसी डिपो में आग लगने की सूचना मिलते ही पत्नी और बेटी को साथ लेकर भाई के घर चला गया क्योंकि तेल में लगी आग कहाँ तक फैले क्या पता था।

एक फैक्ट्री के कर्मचारी रवि कुमार ने कहा कि मैं अपना काम खत्म कर ही रहा था कि अचानक तेज बदबूं आने लगी। जब तक कुछ समझता तेज आवाज के साथ कार्यालय की छत से प्लास्टर गिरने लगा। मैं जान बचाकर भागा और इसी दौरान पाँव में काँच लगने से खून बहने लगा लेकिन मैं बदहवास भागता रहा। रवि ने बताया कि उन्हें मोटर साइकिल पर बैठाकर किसी ने सांगानेर स्थित एक निजी अस्पताल पहुँचाया, होश आने पर खुद को अस्पताल में पाया।

आईओसी टर्मिनल में जहाँ तीन टैंकों से धुआँ निकल रहा है और सुरक्षा के लिए खड़े पुलिसकर्मी सतर्क हैं। दोनों टैंकों से शनिवार की रात हुए धमाके की दशहत अभी भी इनके चेहरे पर है।

दशरथसिंह ने कहा उस दिन रात को वे कुर्सी पर बैठे थे कि अचानक तेज आवाज के साथ आग के गोले उनकी ओर उठे, जिससे वह काँप गए।