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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 16 जुलाई 2013 (22:19 IST)

राजीव गांधी हत्याकांड की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करें-सीआईसी

राजीव गांधी हत्याकांड की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करें-सीआईसी -
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नई दिल्ली। राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी की याचिका को मंजूर करते हुए सीआईसी ने गृह मंत्रालय को न्यायमूर्ति एमसी जैन और न्यायमूर्ति जेएस वर्मा आयोग की रिपोर्ट उसे प्रदान करने को कहा है, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की जांच की थी। सीआईसी ने मंत्रालय की उन दलीलों को खारिज कर दिया कि समूची रिपोर्ट का पता नहीं लग सका है

सूचना आयुक्त सुषमासिंह ने वीआईपी सुरक्षा शाखा में आरटीआई अपीलीय प्राधिकार से दो हफ्ते के भीतर आदेश देने को कहा कि क्या इन जांच आयोगों पर फाइल नोटिंग का खुलासा किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि संबद्ध अधिकारियों को पेरारीवलन को एक मौका अवश्य देना चाहिए। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद मौजूदा मामले में वह मौत की सजा का सामना कर रहा है।

जीवन और स्वतंत्रता के मुद्दे का हवाला देते हुए पेरारीवलन ने जैन और वर्मा आयोग द्वारा सौंपी गई सारी रिपोर्ट की सत्यापित प्रतियां मांगी थीं। इसके अतिरिक्त इन आयोगों के कार्यक्षेत्र, इन आयोगों की सिफारिशों पर भारत सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की प्रतियां भी उसने मांगी थी।

अगर मामला अपीलकर्ता के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा हो तो 48 घंटे के भीतर सूचना प्रदान करने का प्रावधान होने के बावजूद गृह मंत्रालय के सभी संभागों ने कहा कि यह मामला उनसे संबंधित नहीं है।

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार ने हालांकि कहा कि यद्यपि उसके पास रिपोर्ट नहीं है लेकिन आयोग की गतिविधियों से संबंधित 918 फाइलें उसके पास उपलब्ध हैं। आयोग के समक्ष सुनवाई के दौरान गृह मंत्रालय ने कहा कि वह फाइलों का पता नहीं लगा सकी क्योंकि रिकॉर्ड 1991 के बाद की अवधि से संबंधित हैं और इस मामले को गृह मंत्रालय के अलग-अलग संभाग ने संभाला है।

आवेदन का जवाब देने में विलंब के कारणों को स्पष्ट करते हुए मंत्रालय ने कहा, हालांकि सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप अब न्यायमूर्ति एमसी जैन जांच आयोग से संबंधित कुछ रिकॉर्ड का पता लगाना संभव हो सका है। हालांकि न्यायमूर्ति जेएस वर्मा जांच आयोग के समूचे रिकॉर्ड का अब भी पता नहीं लगाया जा सका है।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि कुछ फाइलों में खुफिया ब्यूरो और सीबीआई द्वारा दी गई सूचनाएं हैं, जो आरटीआई अधिनियम के तहत छूट प्राप्त संगठन हैं और इसलिए उनकी राय भी मांगी जा रही है।

मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी को सूचना मुहैया कराने में विलंब पर प्रतिकूल नजरिया अपनाते हुए सिंह ने कहा, गृह मंत्रालय के सभी सूचना अधिकारियों तक आरटीआई आवेदन को भेजने की बजाय नोडल सूचना अधिकारी को संबद्ध सूचना अधिकारी की पहचान करनी चाहिए थी और उसके पास आरटीआई आवेदन भेजना चाहिए था।

सिंह ने कहा, प्रतिवादी को इसलिए निर्देश दिया जाता है कि वह न्यायमूर्ति एमसी जैन जांच आयोग और न्यायमूर्ति जेएस वर्मा जांच आयोग की रिपोर्ट की प्रतियां प्रदान करे और साथ ही इस आदेश के मिलने के एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट भी प्रदान करे।

उन्होंने कहा कि जहां तक फाइल नोटिंग, पत्राचार, विवरणों के संबंध में सूचना की बात है तो अपील को वापस प्रथम अपीलीय प्राधिकार वीआईपी सुरक्षा शाखा के पास भेजा जाता है कि वह दो हफ्ते के भीतर आदेश सुनाए।

न्यायमूर्ति वर्मा जांच आयोग का गठन 27 मई, 1991 को सुरक्षा में चूक का पता लगाने के लिए किया गया था, जिसकी वजह से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में लिट्टे के कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी थी। आयोग से जरूरी बदलाव की सिफारिश भी करने को कहा गया था। न्यायमूर्ति जैन आयोग ने उन घटनाक्रमों की जांच की थी जिससे श्रीपेरंबुदूर में गांधी की हत्या हुई थी।

पेरारीवलन के साथ मुरूगन और संतन को इस मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। उनकी दया याचिका राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने साल 2011 में खारिज कर दी थी। उच्चतम न्यायालय ने साल 2000 में उनकी मौत की सजा की पुष्टि कर दी थी। (भाषा)