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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 6 जनवरी 2009 (21:05 IST)

मुख्यमंत्रियों के सुझावों पर होगा गौर

आंतरिक सुरक्षा पर हुई बैठक में मनमोहन का आश्वासन

मुख्यमंत्रियों के सुझावों पर होगा गौर -
आतंकवाद से अधिक प्रभावकारी ढंग से निपटने के लिए कानून को कड़ा करने को लेकर कुछ मुख्यमंत्रियों के सुझावों पर केन्द्र गौर करेगा।

यह आश्वासन मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने दिया। आंतरिक सुरक्षा पर चर्चा के लिए बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक के समापन भाषण में उन्होंने कहा कुछ मुख्यमंत्रियों ने सुझाव दिया है कि आतंकवाद से प्रभावकारी ढंग से निपटने के लिए कानून में परिवर्तन हो। इस पर गौर किया जाएगा।

उन्होंने कहा कुछ मुख्यमंत्रियों को हाल में संसद में पारित सीआरपीसी संशोधन कानून राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) कानून और गैरकानूनी गतिविधि निवारण संशोधन कानून (यूएपीए) पर भी आपत्ति है। केन्द्र उनकी चिंताओं के बारे में अगले सत्र में जवाब के साथ हाजिर होगा।

उल्लेखनीय है कुछ मुख्यमंत्रियों विशेषकर राजगशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने आरोप लगाया था कि एनआईए संघीय भावना के विपरीत है। कुछ ने आतंक रोधी कानून को कड़ा करने का सुझाव दिया था।

अल्पसंख्यकों का ध्यान : सिंह ने संकेत दिया कि आवश्यकता पड़ने पर अल्पसंख्यकों समाज के कमजोर वर्गों के उत्पीड़न को रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखने से जुड़े महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधानों को भी उक्त तीन कानूनों में जोड़ा जाएगा।

उन्होंने कहा कुछ मुख्यमंत्रियों ने आग्रह किया है कि एनआईए केवल आतंकी वारदात तक सीमित रहे और इसका विस्तार अन्य अपराधों तक न हो। उन्होंने आश्वासन दिया कि एनआईए की कार्यप्रणाली के बारे में हमारी मंशा यही है।

वामपंथी उग्रवाद पर चिंता : प्रधानमंत्री के भाषण में फिर वामपंथी उग्रवाद का मुद्दा शामिल हुआ। उन्होंने कहा नक्सली संगठनों पर सैन्यवादी नजरिया हावी होने से एक अलग तरह का खतरा पैदा हो गया है।

उन्होंने कहा वामपंथी उग्रवाद पिछले चार दशक से प्रचलित था, लेकिन अब यह खतरा पैदा हो गया है कि समय के साथ आंदोलन की प्रकृति में उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है। वैचारिक रूप से प्रभावित आंदोलन अब ऐसे रूप में आ गया है, जहाँ सैन्य पहलू हावी हो गया है।

आंदोलन की अपील में विस्तार पर चिंता जताते हुए सिंह ने कहा कि आंदोलन में अभी भी कुछ हद तक विचारधारा मौजूद है। अभी भी युवाओं का एक वर्ग इस ओर आकर्षित हो रहा है।

एक उग्रवादी संगठन भाकपा (माओवादी) का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा ऐसा नहीं लगता कि संगठन के पास नए लोगों की कमी हो।