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Written By भाषा

मुंबई पुलिस ने एफबीआई से मदद माँगी

मुंबई पुलिस ने एफबीआई से मदद माँगी -
मुंबई हमले के मामलों में आरोप पत्र को अंतिम रूप दिए जाने के बीच मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकाल (वीओआईपी) सेवा के सबूत को संलग्न करने में मदद के लिए एफबीआई से संपर्क किया है जिसका उपयोग लश्कर-ए-तोइबा के हमलावरों ने पाकिस्तान के कराची में अपने आकाओं से बातचीत के लिए किया था।

मुंबई पुलिस की अपराध शाखा आरोप पत्र दाखिल किए जाने के मुद्दे पर नपी-तुली खामोशी बरत रही है। जाँच एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि उपग्रह फोन से वीओआईपी के माध्यम से किए गए और प्राप्त कॉल के ब्योरों की साझेदारी में अमेरिकी जाँच एजेंसी की मदद माँगी गई है।

जाँच एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मामला पक्का है लेकिन इस तरह के सबूत पाकिस्तान के इन दावों को और भी खत्म करेंगे कि मुंबई हमले की साजिश उनके देश में नहीं रची गई है।

वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान का यह दावा बिलकुल गलत है कि मुंबई हमलों की साजिश बांग्लादेश में रची गई है। भारत और अमेरिका के बीच परस्पर कानूनी सहायता संधि है जो तीन दिसंबर 2005 से प्रभावी है।

मुंबई हमलों की जाँच में यह रहस्योद्‍घाटन हुआ कि वीओआईपी सेवा के लिए अदायगी पाकिस्तान के तटीय नगर कराची से की गई। इससे हमले से पाकिस्तान के संबंध होने के संकेत मिले।

सूत्रों ने बताया कि एफबीआई की मदद से यह पाया गया कि कराची में एक जाली पहचान पत्र से वीओआईपी के लिए एकाउंट खरीदा गया। इसके लिए वेस्टर्न यूनियन ट्रांसफर सर्विस के माध्यम से 300 डॉलर की अदायगी की गई।

सूत्रों ने बताया कि वीओआईपी नंबर अमेरिका में फ्लोरिडा के आरलैंडो से खरीदा गया। इसका उपयोग मुंबई पर हमला करने वाले दस आतंकवादियों ने सरहद पार अपने आकाओं के संपर्क में बने रहने के लिए किया गया। उनमें लश्कर-ए-तोइबा का जकी-उर-रहमान भी शामिल है जिसे हमलों का सरगना माना जा रहा है।

वीओआईपी एक प्रौद्योगिकी है जो किसी व्यक्ति को इंटरनेट के माध्यम से फोन करने और फोन पाने में सक्षम बनाता है। इसमें आवाज को डेटा के पैकेट में तब्दील किया जाता है और किसी ब्राडबैंड कनेक्शन के माध्यम से इंटरनेट से भेजा जाता है। दूसरे छोर पर इसे फिर से जमा कर आवाज में तब्दील कर लिया जाता है।

सूत्रों ने बताया कि पश्चिमी देशों के जाँचकर्ताओं ने तेजी के साथ पहचान पत्रों के संबंध में बैकग्राउंड चेक किया। उन्होंने इसे जाली पाया। सूत्रों ने यह भी बताया कि विश्लेषण और डेटा पैकेट के डिकोडिंग ने उनका मार्गदर्शन दो वीओआईपी नंबरों तक किया जिन्हें छह भारतीय मोबाइल फोन नंबरों से एक्सेस किया गया था।

जाँच एजेंसी से खाड़ी आधारित एक उपग्रह फोन सेवा प्रदाता के फोनकॉल ब्योरो की साझेदारी करने का भी आग्रह किया गया जिसका उपयोग उग्रवादी पाकिस्तान में लश्कर कमांडरों के साथ संपर्क में बने रहने के लिए कर रहे थे।

मुंबई पर हमले के समय जब उग्रवादी सरहद पार अपने आकाओं से बातें कर रहे थे तो भारतीय खुफिया एजेंसियों ने उनके इंटरनेट टेलीफोनी सिग्नेचर को इंटरसेप्ट किया था। अमेरिकी जाँच एजेंसी ने इन इंटरनेट टेलीफोनी सिग्नेचर के साथ ही दूसरे तमाम सुराग लिए हैं।

एफबीआई की यह टीम एक दिसंबर को यहाँ आई थी। वह इंटरनेट टेलीफोनी के कोड तोड़ने में सक्षम रही। उल्लेखनीय है कि इंटरनेट टेलीफोनी के कोड को तोड़ने में अमेरिकी जाँच एजेंसी को विशेषज्ञता हासिल है। एफबीआई ने अमेरिकी कानूनों के अनुरूप 26 नवंबर के मुंबई हमलों के संबंध में एक मामला भी दर्ज किया है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिकी जाँच एजेंसी को अमेरिका के बाहर किसी अमेरिकी नागरिक की हत्या या यातनाएँ देने के मामले की जाँच करनी होती है और बाद में आरोप पत्र दाखिल करना होता है। मुंबई हमलों में उग्रवादियों के हाथों छह अमेरिकी नागरिक मारे गए।

अमेरिकी एजेंसी ने 26 नवंबर को हुए मुंबई हमलों में जीवित गिरफ्तार एकमात्र आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर ईमान से पूछताछ की रिपोर्ट का भी आग्रह किया है।