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Written By भाषा

महिलाएँ विज्ञान के क्षेत्र में आएँ-पाटिल

महिलाएँ विज्ञान के क्षेत्र में आएँ-पाटिल -
विज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय अनुसंधान के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बहुत कम रहने पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने विज्ञान की पढ़ाई करने की इच्छुक लड़कियों के लिए एक छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का सुझाव दिया।

राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर यहाँ विज्ञान भवन में महिला वैज्ञानिकों के एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्‍घाटन करते हुए कहा कि विज्ञान में सक्रिय अनुसंधान के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात बहुत ही कम है। साथ ही विज्ञान संकायों में दाखिला लेने वाली लड़कियों की संख्या भी बहुत सीमित है।

उन्होंने कहा कि इसलिए महिला वैज्ञानिकों को उभारने का हमारा प्रयास निश्चित तौर पर स्कूली स्तर से ही शुरू होना चाहिए। उन लड़कियों के लिए एक छात्रवृत्ति योजना शुरू की जा सकती है, जो विज्ञान पाठ्यक्रमों की पढ़ाई करना चाहती हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और विज्ञान में महिलाओं के लिए बने कार्यबल द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्‍घाटन सत्र को केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल, विज्ञान में महिलाओं के लिए बने कार्यबल की अध्यक्ष डॉ. महताब एस. बामजी, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. गिरिजा व्यास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. टी रामास्वामी ने भी संबोधित किया।

राष्ट्रपति ने इस मौके पर विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर जमीनी स्तर पर महिलाओं का विकास करने में सराहनीय योगदान करने वाली पाँच महिलाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया।

उन्होंने डॉ. रानी बंग और डॉ. विजया लक्ष्मी को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर महिलाओं का विकास करने के लिए वर्ष 2007 का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया, जबकि डॉ. मिताली मुखर्जी, डॉ. संगीता मुखोपाध्याय और डॉ. सुजाता शर्मा को वर्ष 2007 के राष्ट्रीय महिला जैव वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

पुरस्कार पाने वाली महिलाओं को एक-एक लाख रुपए नकद, प्रशस्ति-पत्र और पदक प्रदान किए गए।