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Written By भाषा

मनमोहनसिंह से मिलेंगे धर्मेन्द्र

मनमोहनसिंह से मिलेंगे धर्मेन्द्र -
फिल्म अभिनेता और सांसद धर्मेन्द्र राजस्थान के किसानों की समस्या को लेकर चालू बजट सत्र की समाप्ति के बाद प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह से मिलेंगे।

दिल्ली के अपने आवास पर धर्मेन्द्र ने बताया कि राजस्थान से लगी पाकिस्तान सीमा की तरफ लगभग 150 गज तक राजस्थान और पंजाब के किसानों की जमीनें हैं। इन किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इन किसानों को अपने खेत तक जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है तथा बार-बार पूछताछ का सामना करना पड़ता है। इन किसानों को मुआवजा देकर उनकी परेशानी को कम किया जाना चाहिए। धर्मेन्द्र ने कहा कि इस संदर्भ में वे प्रधानमंत्री से पहले भी मिल चुके हैं, लेकिन मामले में हो रही देर को देखकर वे बजट सत्र की समाप्ति पर प्रधानमंत्री से मिलने की योजना बना रहे हैं।

धर्मेन्द्र ने कहा कि सांसद रहते हुए उन्होंने अपने क्षेत्र की तमाम समस्याओं को हमेशा दूर करने का प्रयास किया है तथा अपने लिए निर्धारित एमपी लैड फंड का इस्तेमाल पूरी तरह से जनता की सेवा के लिए किया है।

उनका कहना है कि एक बार तो सरसों के किसानों की कुछ समस्याएँ थीं, जिसको लेकर किसान काफी उत्तेजित थे और उनकी समस्याओं को दूर करने के मकसद से वे अपने घर से ही चेक लेकर गए थे।

सांसद के रूप में अपनी पारी पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनके दिलोदिमाग में बॉलीवुड के लिए एक खास जगह है जिसे वे छोड़ना नहीं चाहेंगे। वे सार्वजनिक जीवन से खत्म होती ईमानदारी और बेबाकी से व्यथित नजर आए। उनका मानना है कि अगर उनके हाथ में सत्ता होती तो वे इस बीमारी को जड़ से उखाड़ फेंकते।

संसद में अपनी अनुपस्थिति के बारे में छपी खबरों पर क्षुब्ध होकर उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश रहती है कि लोगों को ऐसी शिकायत का मौका न मिले। उन्होंने कहा कि बहुत से सांसद तो ऐसे भी हैं जो सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए लिखित सवाल पूछने की होड़ मचाते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे कई सवाल बेकार सवाल होते हैं और उनके बेबस जवाब होते हैं। उनका कहना है कि बेमतलब के सवाल पूछने से अच्छा है कि कुछ ठोस किया जाए।

अपने निजी जीवन के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी माँ से प्रेरणा मिली कि किसी भी व्यक्ति को छोटा करके न देखा जाए, चाहे वह कैसा ही काम क्यों न करे। उन्होंने बताया कि आज भी जब कोई भूला-बिछड़ा दोस्त उन्हें धरम कहकर बुलाता है तो वे अपने जज्बातों पर काबू नहीं कर पाते।