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Written By भाषा

ब्लॉगरों के बीच भी जसवंत की किताब की चर्चा

ब्लॉगरों के बीच भी जसवंत की किताब की चर्चा -
जिन्ना पर लिखी जसवंतसिंह की पुस्तक और इससे उपजा विवाद ब्लॉगरों के बीच चर्चा का ताजा पसंदीदा विषय बन गया है। एक पाकिस्तानी ब्लॉगर ने भाजपा द्वारा इस वरिष्ठ नेता को पार्टी से बख्रास्त किए जाने की आलोचना की है।

पाकिस्तानी ब्लॉगर औवैस एहसन ने कहा कि भाजपा एक असहिष्णु पार्टी है और कभी सच को नहीं स्वीकार करेगी। भले ही यह विचार उसके अच्छे खासे पढ़े-लिखे और प्रसिद्ध पार्टी सदस्यों की ओर से आए।

एक अन्य पाकिस्तानी ब्लॉगर सज्जाद आवां ने कहा कि भारत को दुनिया को अच्छी सद्भावना दिखानी चाहिए कि वह अपने लोगों के सुझावों, विचारों, चर्चाओं और सोच का स्वागत कर रहा है।

एक अन्य ब्लॉगर कलसूम के अनुसार हास्यास्पद बात यह है कि सिंह का भाजपा के साथ वैचारिक संघर्ष उसी तरह का है, जैसा जिन्ना का कांग्रेस पार्टी के साथ था। दोनों पार्टी विचारधारा के सक्रिय प्रस्तावक थे और दोनों ने बौद्धिक असहमति के बाद खुद को अलग कर लिया। अंतर सिर्फ इतना है कि सिंह ने राष्ट्रवादी दक्षिणपंथी पार्टी का समर्थन करने से अपना आधार बदलकर बौद्धिक उदारवाद की ओर कर लिया है, वहीं जिन्ना धर्मनिरपेक्ष, उदारवादी नीतियों का त्याग करके कठोर और सांप्रदायिक नीति को अपनाकर जनता को अपने पक्ष में किया।

वाक्युद्ध जिन्ना, जसवंतसिंह या वल्लभभाई पटेल पर आकर ही नहीं रुकता है। कुछ ब्लॉगरों ने तो स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कांग्रेस की भूमिका की भी आलोचना की है। एक भारतीय ब्लागर शुभम ने कहा क‍ि जब भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, अश्फाक-उल्ला-खान, राम प्रसाद बिस्मिल देश को एकजुट करने के लिए लड़ रहे थे, तब कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों समुदायों के बीच क्यों खाई पैदा करने की कोशिश कर रही थी।

भारत में धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की आलोचना से जुड़े मुद्दे पर अपनी राय जाहिर करते हुए भारतीय ब्लागर कपिल राजेश पांडव ने कहा कि भाजपा ने हमें बदनाम किया है। यह हमें कहीं का नहीं छोड़ेगी। इसके बावजूद हमें कांग्रेस का मुकाबला करने वाली ताकत के रूप में भाजपा की जरूरत है ताकि लोकतंत्र का अस्तित्व कायम रहे।

जसवंतसिंह को क्रांतिकारी बताते हुए संजीव मिगलानी ने कहा कि जसवंतसिंह को कुछ आश्चर्यजनक समाधान मिल गया है। यह भारत और पाकिस्तान के लिए काफी अच्छा है। मेरा मानना है कि उन्होंने न सिर्फ एक पुस्तक लिखी है बल्कि उन्होंने क्रांति शुरू कर दी है।