गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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Written By वार्ता

बदल रही है डाकघरों की तस्वीर

बदल रही है डाकघरों की तस्वीर -
डाकघर का नाम आते ही आमतौर पर जेहन में मेज पर चिट्ठियों का ढेर, उन पर जोर-जोर से मुहर लगाते व्यक्ति और लिफाफे-पोस्टकार्ड टिकट लेने तथा मनीऑर्डर करने के लिए लगी लाइन की तस्वीर उभरती है लेकिन अब डाकघरों की यह तस्वीर बदल रही है।

आधुनिकीकरण और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में डाक विभाग ने डाकघरों को नया स्वरूप देने का बीड़ा उठाया है। एक ओर जहाँ इनकी साज-सज्जा को आकर्षक बनाया जा रहा है, वहीं डाकघरों से मुहैया कराई जाने वाली सेवाओं को नई प्रौद्योगिकि के माध्यम से बेहतर बनाया जा रहा है।

डाक विभाग ने इस उद्देश्य से प्रोजेक्ट एरो शुरू किया है, जिसके तहत पिछले कुछ ही माह में दो चरणों में 500 डाकघरों को नया रूप दिया जा चुका है।

जनवरी में इसका तीसरा चरण भी शुरू किया गया है, जिसके लिए साढ़े चार हजार डाकघरों को चुना गया है। इन सभी डाकघरों में कम्प्यूटरीकरण और वेब आधारित सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

इस परियोजना में सभी मुख्य डाकघरों तथा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के महत्वपूर्ण डाकघरों को लिया गया है।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में डाकघरों की भुमिका बढ़ाने की दृष्टि से यह परियोजना शुरू की गई है।

आधुनिकीकण को इस परियोजना से डाक और मनीऑर्डर पहुँचाने की व्यवस्था को तो तेज किया ही जा रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों को ब्राडबैंड से जोड़कर इंटरनेट सुविक्षा भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसका उद्देश्य अब तक शहरी क्षेत्रों में ही मौजूद सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में भी पहुँचाना है।

प्रोजेक्ट एरो के पहले चरण में 12 करोड़ 56 लाख रुपये की लागत से 50 डाकघरों का स्वरूप बदला गया और दूसरे चरण में 450 डाकघरों पर 74 करोड़ रुपए खर्च हुए। तीसरे चरण में 4500 डाकघरों के आधुनिकीकरण पर 883 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है।