मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. राष्ट्रीय
Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 6 सितम्बर 2009 (21:26 IST)

पोखरण-द्वितीय पर वैज्ञानिकों से आश्वासन जरूरी

पोखरण-द्वितीय पर वैज्ञानिकों से आश्वासन जरूरी -
वर्ष 1998 में हुए पोखरण-द्वितीय परीक्षणों को पूरी तरह सफल नहीं बताने के कुछ वैज्ञानिकों के दावों के बीच पूर्व सैन्य प्रमुख वीपी मलिक ने कहा है कि परीक्षणों की प्रभावोत्पादकता पर संदेह से सशस्त्र बल प्रभावित होते हैं और उन्हें परमाणु परीक्षणों के वास्तविक नतीजों के बारे में परमाणु प्रतिष्ठान से आश्वासन की जरूरत है।

मलिक ने यह भी कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का यह वक्तव्य यकीन दिला सकने वाला नहीं है, जिसमें उन्होंने अपने साथी रहे रक्षा वैज्ञानिक डॉ. के.संथानम के दावों को खारिज किया है। वर्ष 1998 में जब भारत ने परीक्षण किया तब कलाम डीआरडीओ प्रमुख थे।

संथानम ने कहा था कि परीक्षण व्यर्थ रहे, जबकि इसका कलाम ने खंडन कर कहा कि पोखरण-द्वितीय पूर्ण रूप से सफल था।

पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों के समय सशस्त्र बलों के प्रमुख रहे मलिक ने कहा कि उन्हें उनके इस्तेमाल में लाई जाने वाली हथियार प्रणाली के बारे में और जब वे लक्ष्य साधते हैं, तो उस दौरान किस तरह के परिणाम उनके पास होंगे, उसकी योजना के बारे में आश्वस्त कराने की जरूरत है।

मलिक ने 11 मई 1998 को परखे गए तापीय परमाणु उपकरण के नतीजों पर सवाल उठाती डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक के. संथानम की टिप्पणियों को ‘स्तब्धकारी’ करार दिया।

उन्होंने कहा कि हम यह न भूलें कि डॉक्टर संथानम उनकी टीम का हिस्सा थे। और यह स्तब्ध कर देने जैसा है कि डॉ. संथानम खुद ही यह जिक्र कर रहे हैं कि वह असफल रहा। निश्चित तौर पर वे एक बार फिर तापीय परमाणु हथियार का संदर्भ दे रहे थे। लिहाजा डॉ. कलाम का वक्तव्य यकीन दिला सकने वाला नहीं था।

पूर्व सैन्य प्रमुख ने कहा कि परमाणु ऊर्जा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष आर चिदम्बरम के नेतृत्व वाले वैज्ञानिकों के दल को सशस्त्र बलों को हथियारों के नतीजों के बारे में आश्वस्त कराना चाहिए।