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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) , रविवार, 2 अगस्त 2009 (12:59 IST)

नैनोसैटेलाइट को प्रक्षेपित करेगा इसरो

IIT Kanpur's students, have made a nanosatelite, It will give information about Drought, floods, forests and forestry | नैनोसैटेलाइट को प्रक्षेपित करेगा इसरो
तकनीक के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर गाड़ते हुए कानपुर आईआईटी के छात्रों के एक दल ने एक ऐसे नैनोसैटेलाइट का निर्माण किया है, जिससे सूखे, बाढ़, पेड़-पौधों और वनीकरण के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।

इस सैटेलाइट को आईआईटी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) को सौंपेगा और उम्मीद जताई जा रही है कि इसरो इसको इस साल के अंत तक प्रक्षेपित कर देगा।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रो. एसजी ढांडे ने बताया क‍ि इस सैटेलाइट में कुछ विशेष तरीके से जमीनी परिस्थितियों के चित्रों को प्राप्त किया जा सकेगा। हम अपने संस्थान में एक ट्रैकिंग स्टेशन भी बनाएँगे, जहाँ से हमें सूखे, बाढ़, पेड़-पौधों और जंगलों के बारे में वास्तविक आँकड़ा मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि करीब ढाई करोड़ की लागत से तैयार होने वाले इस सैटेलाइट का निर्माण संस्थान के एमफिल के छात्र शांतनु अग्रवाल की अगुवाई में छात्रों के एक दल ने किया है। छात्रों ने इस सैटेलाइट का नाम ‘जुगनू’ रखा है और इसका कुल वजन दस किलोग्राम से भी कम है। ढांडे ने कहा कि इसके लिए किसी विशेष प्रक्षेपण की आवश्यकता नहीं होगी।

उल्लेखनीय है कि इस सैटेलाइट का नैनो तकनीक से कोई संबंध नहीं है। इसको नैनोसैट इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसका आकार बहुत छोटा होता है। गौरतलब है कि कानपुर आईआईटी ने इस तरह का तकनीक निर्माण का काम इसरो द्वारा अन्य देशों और विश्वविद्यालयों से सैटेलाइट लेने की स्वीकृति देने के बाद शुरु किया।

संस्थान के निदेशक ने कहा कि हमने इसको चुनौती के रूप में लिया। हमने सोचा कि हम क्यों नहीं सैटेलाइट बना कर इसरो को दे सकते हैं। फिर इस विचार से प्रभावित होकर 20 छात्रों ने इसका निर्माण करना शुरु किया।

उन्होंने बताया कि यह सैटेलाइट ज‍ियोसिंक्रोनस नहीं है और इसकी धरती की कक्षा भी कम होगी। उन्होंने बताया कि इससे आँकड़े तब एकत्र किए जा सकते हैं, जब ट्रैकिंग स्टेशन से यह दिखाई देगा।

ढांडे ने कहा कि बड़े सैटेलाइट करीब एक टन के होते हैं, जबकि यह मात्र दस किलो का है और इसमें बहुत छोटे छोटे उपकरण भी लगाए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि छात्रों का यह प्रयास इसलिए भी विशेष हो गया है, क्योंकि संस्थान इस वर्ष अपना स्वर्ण जयंती समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह इस साल दिसंबर तक जारी रहेगा।