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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , सोमवार, 7 फ़रवरी 2011 (21:02 IST)

थॉमस ने उठाए न्यायिक समीक्षा पर सवाल

कहा- सीवीसी के तौर पर मेरी नियुक्ति गलत नहीं

थॉमस ने उठाए न्यायिक समीक्षा पर सवाल -
विवादों से घिरे केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) पीजे थॉमस ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि सीवीसी के तौर पर उनकी नियुक्ति के मामले में न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती और महज भ्रष्टाचार के एक मामले में उनके खिलाफ आरोपपत्र लंबित होने के चलते नियुक्ति गलत नहीं हो सकती।

थॉमस के वकील केके वेणुगोपाल ने आज दलीलें पेश करते हुए कहा कि मतदाता कानून के तहत भी दोषी सांसद और विधायक अपने पद पर बने रह सकते हैं, भले ही आपराधिक मामलों में उनके दोषी साबित किए जाने के खिलाफ अपीलें लंबित हों।

हालाँकि प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यदि दोष साबित होने का कोई तथ्य है और यदि कोई व्यक्ति नियुक्त किया जाता है तो क्या हम कह सकते हैं कि नियुक्ति की कोई न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती।

वेणुगोपाल ने दलील दी कि नियुक्ति महज इसलिए गलत नहीं हो सकती क्योंकि अधिकारी के खिलाफ आरोपपत्र लंबित है। सीवीसी कानून में इस आधार पर किसी को अयोग्य करार देने का कोई प्रावधान नहीं है।

वेणुगोपाल ने कहा कि चूँकि कानून सीवीसी के तौर पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति की योग्यता और औचित्य को योग्य अथवा अयोग्य करार देता है इसलिए चयन नियुक्ति प्राधिकार के संतोष के आधार पर किया गया। सरकार ने अदालत में यह भी कहा कि थॉमस के मामले की पूरी फाइल को प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति के सदस्यों के समक्ष नहीं रखा गया था, जिसने नियुक्ति का फैसला किया था।

पीठ ने जब जानना चाहा कि क्या नियुक्ति प्राधिकार समिति में शामिल सदस्यों के बीच एजेंडा पत्र के साथ पूरी फाइल रखी गई तो एटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती ने ‘नहीं’ में जवाब दिया।

हालाँकि वाहनवती ने कहा कि निजी तौर पर उन्हें नहीं पता कि क्या हुआ, समिति ने क्या कहा, उन्होंने क्या किया और सदस्यों के बीच क्या रखा गया।

पीठ में न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि सदस्यों के बीच एजेंडा पत्र के साथ इसे रखा जाना चाहिए था। एटॉर्नी जनरल ने कहा कि संबंधित सामग्री क्यों नहीं रखी गई और क्या रखा गया, मैं इस बारे में कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ। उन्होंने हालाँकि इस बात से इनकार कर दिया कि थॉमस की नियुक्ति में किसी तरह की प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ था।

इसी समय थॉमस की तरफ से वेणुगोपाल ने कहा कि इन सभी पहलुओं के चलते वह तकलीफ नहीं झेल सकते। बहरहाल इस पर पीठ ने सख्त अंदाज में कहा कि क्या आपको नहीं लगता कि एजेंडा पत्र में सारी जानकारी होनी चाहिए और यदि एजेंडा में जानकारी नहीं है तो वे (समिति के सदस्य) संबंधित सामग्री के बारे में पूछ सकते हैं। (भाषा)