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Written By भाषा
Last Modified: शनिवार, 27 अप्रैल 2013 (15:10 IST)

चिटफंड : धोखाधड़ी मामले में एजेंसियों द्वारा जांच की घोषणा

चिटफंड : धोखाधड़ी मामले में एजेंसियों द्वारा जांच की घोषणा -
नई दिल्ली। सरकार ने भोले-भाले निवेशकों से पोंजी योजनाओं के जरिए धन जुटाकर उन्हें ठगने के कथित मामलों की विभिन्न एजेंसियों के जरिए जांच कराए जाने की शनिवार को घोषणा की।

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सरकार ने शनिवार को कहा कि इस तरह की गतिविधियों में लिप्त कंपनियों के खिलाफ पूंजी बाजार नियामक सेबी, रिजर्व बैंक और कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय तथा अन्य एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही है।

वित्त मंत्रालय के अनुसार इसके अलावा आयकर विभाग ने भी सारदा समूह की जांच का काम शुरू किया है। कोलकाता स्थित इस समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन और अन्य के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनीलांड्रिंग गतिविधियों में लिप्त रहने के संदेह का मामला दर्ज किया है।

मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल और पूर्वी क्षेत्र में कथित तौर पर अवैध रूप से चिटफंड कंपनियों द्वारा धन जुटाए जाने की जांच संबंधी कदमों का ब्योरा देते हुए कहा कि विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों ने इसकी जांच के लिए कदम उठाए हैं।

पिछले कुछ दिनों से इस तरह की मीडिया रिपोर्टें लगातार आने से इस बारे में चिंता बढ़ी थी। इन रिपोर्टों में देश के पूर्वी राज्यों में विशेषकर ग्रामीण और छोटे शहरी इलाकों में भोले- भाले निवेशकों से अवैध रूप से धन जुटाकर कथित तौर पर उनके साथ धोखाधड़ी किए जाने की खबरें प्रकाशित हुई हैं।

पोंजी योजनाओं के तहत अच्छी आय का वादा कर कई लोगों से सामूहिक तौर पर धन जुटाया जाता है, इसका भुगतान नए निवेशकों से इसी तरह का वादा कर जुटाई गई राशि से किया जाता है। पुराने निवेशकों और एजेंटों को नए निवेशकों को योजना के दायरे में लाने के लिए मोटी रकम कमीशन के तौर पर दी जाती है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि मामले की भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जांच की जा रही है। सेबी ने कई कंपनियों के खिलाफ कारवाई शुरू की है।

ऐसी कई कंपनियां उसकी नजर में हैं जिन्होंने सेबी नियमों का उल्लंघन किया है। देश के पूर्वी हिस्से में 59 से अधिक सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) से जुड़े मामलों में अभियोजन की कारवाई शुरू की गई है।

मंत्रालय ने कहा है कि वित्तीय सेवाओं के विभाग ने इसके साथ ही जुलाई 2012 में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर जररी कदम उठाने को कहा था। राज्यों से कहा गया था कि वे राज्य पुलिस के आर्थिक अपराध विभाग जैसे नियामक संस्थानों और रिजर्व बैंक, सेबी, कंपनी पंजीयक, राजस्व विभाग एवं प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय प्रणाली को मजबूत बनाएं।

इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक को भी इस संबंध में फरवरी 2013 में जानकारी भेजी गई थी और वर्तमान में मामले की जांच की जा रही है।

कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के कदमों के बारे में इसमें कहा गया है कि मंत्रालय ने 31 कंपनियों के खातों और रिकॉर्ड की जांच का आदेश दिया। गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) ने जुलाई और नवंबर 2012 में कुछ मामलों में जांच के आदेश दिए थे।

सारदा रियल्टी लिमिटेड के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में मंत्रालय ने कहा कि सेबी ने इस संबंध में 23 अप्रैल को आदेश जारी कर कंपनी को उसकी सभी मौजूदा सामूहिक निवेश योजनाओं को बंद करने और निवेशकों को 3 महीने के भीतर योजना की शर्तों के अनुसार पूरा पैसा लौटाने को कहा है। ऐसा नहीं होने पर कंपनी के खिलाफ सेबी अभियोजन कारवाई शुरू करेगा। कर नियमों के संभावित उल्लंघन के मामले में आयकर विभाग ने भी कंपनी के खिलाफ जांच कार्य शुरू किया है।

सुदीप्त सेन और 4 अन्य के खिलाफ प्रथमिक सूचना रिपोर्ट दायर होने के बाद असम पुलिस से प्राप्त सूचना के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी सारदा रियल्टी इंडिया लिमिटेड, सुदीप्त सेन और अन्य के खिलाफ 25 अप्रैल को मनीलांड्रिंग रोधी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर दिया। (भाषा)