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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 4 मार्च 2012 (23:20 IST)

गुलजार के कहानी संग्रह का लोकार्पण

गुलजार के कहानी संग्रह का लोकार्पण -
मशहूर शायर और गीतकार गुलजार ने आज अपनी कहानियों की चर्चा करते हुए कहा कि कहानियां गढ़ी नहीं जाती। वो घटती रहती हैं..आपके चारों तरफ। कहानियों को किसी बंधे..बंधाए नजरिए से देखना ठीक नहीं होगा। गुलजार ने राजधानी में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के अंतिम दिन अपने नए कहानी संग्रह ‘ड्योढी’ के लोकार्पण के अवसर पर यह बात कही।

उन्होंने कहा कहानियों के कई रूख होते हैं। वे ऐसी गोल नहीं होती कि हर तरफ एक-सी नजर आए। सामने सर उठाए खड़ी पहाड़ियों की तरह है जिस पर कई लोग चढ़े हैं और बेशुमार पगडंडियां बनाते हुए गुजरे हैं।

उन्होंने कहा कहानियां गढ़ी नहीं जाती। वो घटती रहती हैं..आपके चारों तरफ। कुछ साफ नजर आ जाती हैं। कुछ ओझल हो जाती हैं। ऊपर की सतह को जरा सा छील दो तो बिलबिला कर ऊपर आ जाती हैं।

उल्लेखनीय है कि पुखराज, जानम, एक बूंद चांद, त्रिवेणी जैसे चर्चित काव्य संग्रह रचने वाले गुलजार की कई कहानी संग्रह आ चुके हैं। चौरस रात और धुआं तथा रावी पार उनके चर्चित कहानी संग्रह हैं।

पुस्तक मेले में गुलजार की शायरी का एक अंग्रेजी अनुवाद ‘नेगलेक्टेड पोएम्स’ भी जारी किया गया। इनका अनुवाद पूर्व राजनयिक एवं लेखक पवन के वर्मा ने किया है। इसमें उनकी 60 कविताओं का संग्रह किया गया है।

वर्मा इससे पहले भी गुलजार की कविताओं का अनुवाद ‘सलेक्टेड पोएम्स’ नामक संकलन में कर चुके हैं। नए काव्य संग्रह के नामकरण का जिक्र करते हुए गुलजार ने कहा कि उनकी अकसर शाम को वर्मा के साथ मुलाकात होती थी। ऐसी ही एक शाम को गुलजार ने उन्हें सुझाव दिया ‘सलेक्टेड पोएम्स' के नाम कई कविताओं के अनुवाद आए हैं। इसके बदले हम क्यों न नये संकलन का नाम 'नेगलेक्टेड पोएम्स' रख दें।

गुलजार ने कहा इसके बाद पवनजी वास्तव में शर्मिंदा नजर आए। उन्होंने नई कविताओं के अनुवाद में देरी का स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि ऐसा उनके कार्यालय और पद बदलने के कारण हुआ। उनका मतलब कविताओं की अनदेखी करना नहीं था। अचानक उन्हें मेरे चेहरे पर मुस्कान दिखाई दी और उन्होंने महसूस किया कि मैं मजाक कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि उनके और वर्मा के बीच यह मजाक काफी समय तक चलता रहा। अब वह इस मजाक को सभी के साथ बांट रहे हैं।

पुस्तक मेले में आज भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य तरुण विजय की पुस्तक ‘मन का तुलसी चौरा’ भी जारी की गई। इस अवसर पर विजय ने कहा कि यह पुस्तक मूलत: एशिया क्षेत्र में हिन्दू धर्म के बारे में लिखी गई है।

उन्होंने कहा कि पुस्तक में हिन्दुओं के बिखरते मूल्यों के मुद्दे पर कई बिन्दुओं से विचार करने का प्रयास किया गया है।

पुस्तक मेले में आज हरियाणा के राज्यपाल जगन्नाथ पहड़िया ने 'हरियाणा लोक संस्कृति के झरोखे से’ पुस्तक का लोकार्पण किया। यह पुस्तक राज्य के मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रमुख सचिव केके खंडेलवाल और मोहन मैत्रेय ने लिखी है।

यह पुस्तक ई.बुक और आईफोन पर भी उपलब्ध है। पहाड़िया ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से हरियाणा की लोक संस्कृति को समझने में मदद मिलेगी। (भाषा)