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Written By भाषा

गुजरात दंगों संबंधी मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक में

Gujarat riots: SC lifts stay, orders fast track trial | गुजरात दंगों संबंधी मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक में
उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित नौ मामलों की सुनवाई पर लगी रोक शुक्रवार को हटाते हुए गुजरात की छह त्वरित अदालतों को उसकी दैनंदिन सुनवाई का आदेश दिया और विशेष जाँच दल (एसआईटी) को उनकी सहज एवं संतोषप्रद प्रगति सुनिश्चित करने के लिए जबरदस्त शक्तियाँ सौंप दी।

न्यायमूर्ति अरिजित पसायत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकार की भूमिका को सीमित करते हुए निर्देश दिया कि लोक अभियोजकों की नियुक्ति और गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने में एसआईटी की राय अंतिम एवं बाध्यकारी होगी।

पीठ ने कहा यह अनिवार्यत: इस अंदेशे को दूर करने के लिए है कि अदालत में लोक अभियोजक निष्पक्ष नहीं है और उचित तरीके से अभियोजन के संचालन में निष्पक्ष नहीं होता है।

न्यायालय ने कहा गुजरात सरकार हर एक मामले में एसआईटी के साथ राय मश्विरा कर लोक अभियोजकों की नियुक्ति करेगी जिसके विचार अंतिम और राज्य सरकार पर बाध्यकारी होंगे।

तीन सदस्यीय पीठ ने गुजरात दंगों से जुड़े मामलों की सुनवाई राज्य से बाहर करने के आग्रह समेत अनेक याचिकाओं की श्रंखला पर अपना आदेश सुनाते हुए कहा कि उसने दंगा मामलों की संवेदनशीलता पर विचार किया है।

न्यायालय ने अहमदाबाद, आणंद, साबरकांठा, मेहसाणा और गुलबर्ग जिलों में दंगों से संबंधित मामलों के लिए विशेष अदालतें गठित करने का आदेश दिया जहाँ दैनंदिन आधार पर मामले की सुनवाई होगी।

पीठ ने कहा सुनवाई का संचालन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए दैनंदिन के आधार पर किया जाए कि ये घटनाएँ जनवरी 2002 की हैं और सुनवाई पहले से ही सात साल पिछड़ चुकी हैं।

पीठ ने कहा कि संवेदनशील मामलों खास तौर पर सांप्रदायिक दंगों से जुड़े मामलों के शीघ्र समापन की आवश्यकता पर ज्यादा जोर देने की जरूरत नहीं है।

एसआईटी को गोधरा नरसंहार और उसके बाद गोधरा अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी, नरोदा ग्राम, नरोदा पाटिया और सरदारपुरा में हुए सांप्रदायिक दंगों की जाँच करने को कहा गया था। इसने साबरकांठा में दो ब्रिटिश नागरिकों की हत्या के मामले की भी जाँच की।