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Written By भाषा
Last Modified: देहरादून , शुक्रवार, 21 जून 2013 (21:34 IST)

गंगा में तैरते मिले 40 शव, मृतक संख्या 207

गंगा में तैरते मिले 40 शव, मृतक संख्या 207 -
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देहरादून। बेपनाह खूबसूरती के लिए मशहूर उत्तराखंड प्रकृति की ऐसी विनाशलीला का दंश झेल रहा है जिससे उबरने में महीनों लग जाएंगे। दुर्गम पहाड़ों के बीच चारों ओर मौत का सन्नाटा है और जिंदा बचे लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। सैकड़ों लोग टनों मलबे के नीचे दबे हुए हैं

इस आपदा की भयावह तस्वीरें एक-एक कर सामने आ रहीं हैं और शुक्रवार को हरिद्वार के पास गंगा में तैरते हुए 40 शवों को निकाला गया। राज्य में आई इस भयावह आपदा में अब तक मृतक संख्या 207 तक पहुंच गई है। उधर बचावकर्मियों ने पर्वतीय राज्य के अनेक दुर्गम स्थानों में अब भी फंसे हुए 50000 लोगों को निकालने के काम को और रफ्तार दे दी है।

एक सप्ताह पहले राज्य में भारी मानसून के प्रकोप के बाद से सेना, वायुसेना और आईटीबीपी समेत अनेक एजेंसियों द्वारा युद्धस्तर पर शुरू किए गए अभियानों में करीब 34000 लोगों को निकाला जा चुका है।

वायुसेना ने राहत और बचाव के काम के लिए 13 और हेलीकॉप्टरों को लगाया है और इस तरह अभियान में कुल मिलाकर 43 हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं। वायुसेना ने एमआई-26 हेलीकॉप्टर को सीमा सड़क संगठन के लिए जरूरी ईंधन और भूस्खलन के बाद बंद हुए रास्तों को साफ करने के लिए जरूरी संसाधनों को पहुंचाने के लिए लगाया है।

उत्तराखंड के प्रधान सचिव राकेश शर्मा ने कहा है कि मृतक संख्या काफी ज्यादा और स्तब्ध करने वाली हो सकती है। इससे साफ संकेत हैं कि हालात सामान्य होते-होते यह आपदा बड़ी विनाशलीला कर चुकी होगी और भारी संख्या में लोगों को लील चुकी होगी। फंसे हुए लोगों को पिछले कुछ दिन से कुछ भी खाने को नसीब नहीं होने की खबरों के बाद खाने के पैकेट पहुंचाने के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं।

राजधानी दिल्ली में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, अब तक 207 लोग जान गंवा चुके हैं, लेकिन अभी कई इलाकों में मलबा साफ नहीं हुआ है और मृतक संख्या बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा, हमने उत्तराखंड के अनेक इलाकों से 34000 लोगों को सुरक्षित बचाया है लेकिन 50000 लोग अब भी फंसे हुए हैं। हरिद्वार से आज गंगा से बाढ़ पीड़ितों के 40 शव निकाले गए जो अचानक आई बाढ़ और भारी बारिश का शिकार हुए।

हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव स्वरूप ने कहा, कल शाम से अलग-अलग स्थानों पर गंगा से 40 शव निकाले गए हैं और इन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया है। सभी पर एक संख्या और पहचान टैग लगाया जा रहा है।

सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि वायुसेना ने 13 और हेलीकॉप्टरों की सेवाएं ली हैं और राहत तथा बचाव कार्य में अब कुल मिलाकर 43 हेलीकॉप्टर लगे हुए हैं।

अधिकारियों के मुताबिक बारिश के प्रकोप को झेल रहे केदारनाथ में बचावकर्मी तरजीह के साथ काम कर रहे हैं, जहां 250 लोग अब भी फंसे हुए हैं। इसके बाद बद्रीनाथ में बचाव कार्य पर ध्यान दिया जाएगा, जहां 9000 लोग फंसे हुए हैं।

उत्तराखंड के कृषिमंत्री हरक सिंह रावत ने इसे 'सहस्राब्‍दी की सबसे भीषण त्रासदी' करार देते हुए कहा, आपदा में सबसे बुरी तरह प्रभावित केदारनाथ में मौजूदा बुनियादी ढांचे को हुए भारी-भरकम नुकसान से भरपाई में कम से कम पांच साल का वक्त लग जाएगा।

केदारनाथ का दौरा कर चुके रावत ने कहा, आस्था का केंद्र कब्रिस्तान में तब्दील हो गया है। इलाके में लाशें बिखरी हुई हैं। केवल मंदिर का गर्भगृह सुरक्षित है। सेना के अलावा सशस्त्र सीमाबल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा राहत बल और बीआरओ के जवान और अधिकारी तलाशी, बचाव और राहत के काम में लगे हुए हैं।

चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के तीन प्रभावित जिलों में 739 मोबाइल टॉवरों में से बाढ़ के थपेड़ों के कारण गिर गए 207 मोबाइल टॉवरों को अगले 24 घंटे में चालू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने रामपुर, शिमला और गौचर में विमानों के लिए ईंधन भरने की सुविधा की व्यवस्था की है। प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को एलपीजी सिलेंडर पहुंचाने की कोशिश भी जारी हैं।

तिवारी ने कहा, हरिद्वार और हलद्वानी से 17, 18 और 19 जून को ईंधन भरने के डिपो से एलपीजी सिलेंडरों से लदे ट्रकों को रवाना कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश में तेज बारिश से प्रभावित किन्नौर जिले में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए बचाव अभियान चलाया जा रहा है। दो हेलीकॉप्टर सेवा में लगे हुए हैं।

पहाड़ी प्रदेश के भीतरी पूह, नाको और कजा इलाकों में भी और लोगों के फंसे होने की खबरें आ रहीं हैं। फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए वायुसेना के दो और प्रदेश सरकार के एक हेलीकॉप्टर को बचाव कार्य में लगाया गया लेकिन एक हेलीकॉप्टर में कुछ खराबी सामने आई हैं।

अधिकारियों ने कहा, अभी तक 550 से अधिक लोगों को हवाई मार्ग से बचाया गया है लेकिन संख्या बढ़ती जा रही है और अलग-अलग जगहों पर कई लोग फंसे हुए हैं। (भाषा)