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Written By भाषा

खतरे में बाघ, 12 वर्ष में 450 बाघ मारे गए

खतरे में बाघ, 12 वर्ष में 450 बाघ मारे गए -
हाल ही में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से एक बार फिर भारत के राष्ट्रीय पशु पर मंडराते खतरे का पता चलता है। इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले 12 वर्षों में अपने प्राकृतिक आवास क्षेत्र में करीब 450 बाघों की मौत हुई है। इनमे से अधिकतर की मृत्यु का मुख्य कारण शिकार बताया गया है। यह राष्ट्रीय पशु के समक्ष गंभीर खतरे को दर्शाता है।

सूचना के अधिकार के तहत वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 1999 से मार्च 2011 के बीच 447 बाघ मृत पाये गए जिनमें से 197 की मौत शिकार की वजह से हुई।

इसके अलावा, 250 बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों जैसे अधिक उम्र, आपसी संघषर्, भूख, सड़क एवं रेल दुर्घटना, करंट लगने आदि से हुई।

मंत्रालय ने माना कि प्राकृतिक आवास क्षेत्र से बाघों के विलुप्त होने का मुख्य कारण शिकार है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकार ने अपने जवाब में कहा, ‘बाघों के स्थानीय स्तर पर विलुप्त होने का मामला 2005 में सरिस्का, राजस्थान और 2008 में पन्ना मध्यप्रदेश में सामने आया। इसकी मुख्य वजह शिकार है। इस सूचना के मुताबिक, 2001 और 2002 में 72 बाघ तथा 1999 एवं 2010 में 48 बाघ शिकारियों के हाथों मारे गए। इस वर्ष भी जनवरी से 17 मार्च के बीच दो बाघ मारे गए।

2003 में 20 बाघ, 2009 में 17 बाघ, 2007 में 10 बाघ, 2000 और 2008 में आठ.आठ तथा 2006 में पांच बाघ शिकारियों के हाथों मारे गए।