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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 8 सितम्बर 2009 (19:23 IST)

कश्मीर की वादी बनी बॉलीवुड की पसंद

कश्मीर की वादी बनी बॉलीवुड की पसंद -
फिल्मकारों का कैमरा एक बार फिर कश्मीर की घाटियों की ओर रूख करने लगा है। इन खूबसूरत वादियों में ‘कट’ और ‘एक्शन’ की आवाजें फिर से गूँजने लगी हैं।

अपनी अद्वितीय सुंदरता और पहाड़ी वादियों के अलावा चिनार के पेड़ों और खुबसूरत डल झील के चलते ‘दो बदन’, ‘कश्मीर की कली’, ‘जब जब फूल खिले’, ‘आरजू’, ‘कभी कभी’ और ‘बाबी’ जैसी मोहब्बत भरी बालीवुड फिल्में कश्मीर में बन चुकी हैं।

महज इन हसीन वादियों और सुंदरता के कारण ही फिल्मकार दो दशकों के बाद घाटी की ओर आकषिर्त नहीं हुए हैं बल्कि फिल्मकारों ने आतंक से ग्रस्त रहे कश्मीर के अलावा युवा पीढ़ी की अकांक्षाओं को रूपहले पर्दे पर लाने के लिए भी कश्मीर की ओर रूख किया है।

फिल्मों की बात करे तो ‘शौर्य’, ‘तहान’, और हालिया प्रदर्शित ‘सिकंदर’ के अलावा राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार राहुल ढोलकिया की आने वाली फिल्म ‘लम्हा’ से संकेत मिलता है कि फिल्मकारों ने दोबारा कश्मीर की ओर रूचि दिखाई है।

‘लम्हा’ फिल्म के निर्देशक ढोलकिया ने बताया कि इसमें कोई शक नहीं कि कश्मीर एक खुबसूरत जगह है। इसकी खूबसूरती के अलावा भी यहाँ और भी कई बाते हैं। कश्मीर एक इतिहास है और अब समय आ गया है कि इसे रूपहले पर्दे पर दिखाया जाए।