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Written By वार्ता

उर्वरक सब्सिडी के लिए 15000 करोड़ और

उर्वरक सब्सिडी के लिए 15000 करोड़ और -
सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के भुगतान के लिए चालू वर्ष में 15000 करोड़ रुपए और उपलब्ध कराने का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह द्वारा उर्वरकों पर सब्सिडी के भुगतान के लिए धन की उपलब्धता की समीक्षा के लिए बुधवार को बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया।

बैठक में प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि उर्वरकों पर सब्सिडी के मौजूदा तरीके की भविष्य में समीक्षा की जा सकती है, लेकिन फिलहाल मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी तथा सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इसके भुगतान के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध हो।

रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार संसद के गुरुवार से शुरू हो मानसून सत्र के दौरान पेश की जाने वाली चालू वर्ष की अनुपूरक अनुदान माँगों में उर्वरक सब्सिडी के भुगतान के लिए 15000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की जाएगी। इसमें से 6000 करोड़ रुपए उर्वरक बांड के रूप में पेश होंगे।

सूत्रों के अनुसार उर्वरक विभाग ने 17000 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने की माँग की थी। चालू वर्ष के बजट में इस सब्सिडी के भुगतान के लिए 22451 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था।

उल्लेखनीय है कि रसायन और उर्वरक मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले गुरुवार को उर्वरक सलाहकार मंच की बैठक के बाद कहा था कि उर्वरक सब्सिडी के भुगतान के लिए उपलब्ध धन इस माह समाप्त हो जाएगा तथा इसके लिए और धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गई तो अगले माह से समस्या पैदा हो सकती है। आज की बैठक में पासवान के अलावा कृषिमंत्री शरद पवार, वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम तथा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ईके नायर उपस्थित थे।

पासवान के अनुसार चालू वर्ष में उर्वरक सब्सिडी पर करीब 40000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा पिछले वर्ष के करीब 8000 करोड़ रुपए का भी इसी वर्ष भुगतान किया गया है। इस तरह कुल सब्सिडी 48000 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है।

वर्ष दर वर्ष बढ़ती उर्वरक सब्सिडी से चिंतित सरकार इसमें कमी लाने के प्रस्तावों पर विचार कर रही है। चिदम्बरम ने इस वर्ष के बजट भाषण में किसानों को सीधे सब्सिडी देने के लिए पायलट परियोजना चलाने का सुझाव दिया था। हालाँकि पासवान का मानना है कि किसानों को सीधे सब्सिडी देने का प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं है। उर्वरक सलाहकार मंच ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया है।

पिछले तीन वर्ष में उर्वरक की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, जबकि इसकी सब्सिडी करीब तीन गुना बढ़ी है। वर्ष 2003-04 में उर्वरक सब्सिडी 11835 करोड़ रुपए थी, जो 2007-07 में बढ़कर 30000 करोड़ रुपए से अधिक हो गई।