मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. राष्ट्रीय
Written By भाषा
Last Modified: देहरादून , रविवार, 30 जून 2013 (14:36 IST)

उत्तराखंड आपदा, शवों का अं‍तिम संस्कार बड़ी चुनौती

उत्तराखंड आपदा, शवों का अं‍तिम संस्कार बड़ी चुनौती -
FILE
देहरादून। बद्रीनाथ से अधिसंख्यक तीर्थयात्रियों को निकाले जाने के बाद अब वहां इलाके में बिखरे पड़े शवों का अंतिम संस्कार तथा बाढ़ से घिरे गांवों में स्थानीय लोगों तक राहत सामग्री को पहुंचाना उत्तराखंड में प्रशासन के लिए नई चुनौती बन गया है।

उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ और विशाल पैमाने पर हुए भूस्खलन की आपदा को आए 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन मृतकों की संख्या को लेकर प्रशासन के पास कोई ठोस आंकड़े नहीं हैं।

बद्रीनाथ और जोशीमठ से रविवार को 5 हेलिकॉप्टरों से 200 और तीर्थयात्रियों को निकाला गया और सरकार दावा कर रही है कि वहां केवल 500 तीर्थयात्री बचे हैं जिनके पास अपनी देखभाल के लिए पर्याप्त खाद्य सामग्री, दवाएं और डॉक्टर उपलब्ध हैं।

उधर, प्रदेश में जगह-जगह सड़कों के बह जाने के कारण राहत सामग्रियों से लदे ट्रक जगह- जगह फंसे खड़े हैं और प्रभावित गांवों में राहत सामग्री पहुंचाना प्रशासन के लिए नई चुनौती बन गया है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सड़कों को भारी नुकसान हुआ है।

डीआईजी संजय गुंजयाल ने बताया कि सर्वाधिक प्रभावित केदारनाथ घाटी में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है लेकिन तेजी से बदलते मौसम के चलते यह प्रक्रिया धीमी है।

प्राकृतिक आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या को लेकर भी कोई सटीक आंकड़ें सामने नहीं आ रहे हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि मृतकों की संख्या 1,000 से अधिक हो सकती है और विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल दावा कर रहे हैं कि मृतकों की संख्या 10,000 हजार के पार जा सकती है।

प्रशासन ने बताया कि प्रभावित इलाकों में पड़े टनों मलबे को हटाने के बाद ही मृतकों की वास्तविक संख्या का पता चल पाएगा। टीवी फुटेज में दिखाया गया है कि रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड और केदारनाथ मंदिर के बीच रामबाड़ा इलाके में खुले में शव पड़े हुए हैं।

एक सरकारी अनुमान में कहा गया है कि प्रदेशभर में अभी भी 550 लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि यदि मौसम ठीक रहा तो बद्रीनाथ से लोगों को निकालने का काम रविवार शाम तक पूरा होने की उम्मीद है।

अधिकारियों ने बताया कि कई सड़कें अभी भी मलबे में दबी हुई हैं या फिर बह गई हैं, हालांकि उत्तराखंड सरकार का दावा है कि इनमें से कई सड़कों की मरम्मत की जा चुकी है। अधिकारियों ने बताया कि बद्रीनाथ और रामबाड़ा के बीच की सड़क सही कर दी गई है।

उन्होंने बताया कि जोशीमठ और गोविंदघाट के बीच की सड़क को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। उखीमठ और चोपटा के रास्ते कुंड तथा चमोली के बीच के मार्ग को भी ठीक कर दिया गया है। गुप्तकाशी और गौरीकुंड तथा उत्तरकाशी एवं गंगोत्री के बीच की सड़कों को अभी खोला जाना बाकी है।

सेना, सीमा सड़क संगठन तथा राज्य के इंजीनियरिंग विभाग को निर्देश दिया गया है कि वे राजमार्गों को परिवहन लायक बनाएं और फुटपाथ तथा खच्चरों के लिए मार्ग बनाएं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि कम से कम खच्चरों के रास्ते तथा फुटपाथ को जल्द ही चालू कर दिया जाएगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

चिकित्सा दल केदारनाथ में शवों के डीएनए नमूने लेने के काम में जुटे हैं तथा विभिन्न स्थानों पर शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

केंद्र सरकार के विशेषज्ञों का एक उच्चस्तरीय दल पहले ही प्रभावित इलाकों में पहुंच चुका है तथा महामारी और जलजनित बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं।

फंसे हुए पर्यटकों को सभी सरकारी गेस्ट हाउसों तथा पर्यटक आवासगृहों में मुफ्त ठहरने की सुविधा प्रदान की जा रही है तथा प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें अपने रोजमर्रा के खर्चों को पूरा करने के लिए 2 हजार रुपए की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

सभी पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए मुफ्त परिवहन सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, हल्द्वानी और काठगोदाम में इसके लिए विशेष काउंटर खोले गए हैं।

अधिकारियों ने बताया कि लापता लोगों के बारे में सटीक जानकारी हासिल करने के प्रयासों को बढ़ा दिया गया है तथा राज्य सरकार की वेबसाइट पर एक लिंक डाला गया है ताकि लापता लोगों के मित्र रिश्तेदार अपने सगे-संबंधियों के बारे में जानकारी या फोटो डाल सकें। (भाषा)