बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. राष्ट्रीय
Written By भाषा

इसरो बनाएगा अगली पीढ़ी का रॉकेट

इसरो बनाएगा अगली पीढ़ी का रॉकेट -
मानव को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी के साथ ही भारत के वैज्ञानिक अगली पीढ़ी का रॉकेट विकसित करने में लगे हैं जो अधिक अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जा सकता है तथा ज्यादा भारी उपग्रहों को कक्षाओं में स्थापित कर सकता है।

भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहन मार्क 3 (जीएसएलवी मार्क 3) के अगले तीन साल में प्रक्षेपित किए जाने की संभावना है जो संपूर्ण उपग्रह श्रृंखला को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।

जीएसएलवी मार्क 3 के परियोजना निदेशक एन. नारायणन मूर्ति ने यहाँ बताया कि यदि सब कुछ सफलतापूर्वक होता है तो हम 2011 की शुरुआत तक प्रक्षेपण करने का प्रयास कर सकते हैं।

तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के वैज्ञानिक इस साल सभी इंजनों का परीक्षण करेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने भी कहा है कि जीएसएलवी मार्क 3 की मदद से वे और भारी तथा अर्थपूर्ण मिशनों को मंगल पर भेज सकेंगे और किसी एक मिशन पर और अधिक अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जा सकेगा।

इसरो जीएसएलवी के वर्तमान संस्करण का इस्तेमाल मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान में करने की योजना बना रहा है जिसके 2015 में उड़ान भरने की योजना है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि जब हम मार्क 3 का इस्तेमाल करते हैं तो हम नियमित जीएसएलवी द्वारा दो लोगों को भेजने के बजाय तीन लोगों को भेज सकते हैं।

जीएसएलवी में ढाई टन के उपग्रहों को भी ले जाने की क्षमता है। इसरो को अपने संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षाओं में स्थापित करने के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी पर निर्भर रहना होता था।

जीएसएलवी मार्क 3 के जरिये इसरो एक ही प्रक्षेपण में अधिक ट्रांसपोंडर भेज सकेगा जिससे उपग्रह भेजने में लागत भी कम आएगी। यह रॉकेट 44 मीटर ऊँचा होगा और चार मीटर के दायरे में फैला होगा। इसमें वर्तमान जीएसएलवी मार्क 2 की तुलना में करीब तीन गुना ईंधन की क्षमता होगी।

मूर्ति ने कहा कि सरकार ने परियोजना के कार्यक्रम तथा ढाँचागत विकास के लिए करीब 2500 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। पिछले सात साल में इसरो ने 1500 करोड़ रुपए की लागत से नई परीक्षण और निर्माण सुविधाएँ विकसित की हैं।