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Written By भाषा

अमरसिंह, जयाप्रदा सपा से निष्कासित

Amar Singh And Jaya Prada Dismiss | अमरसिंह, जयाप्रदा सपा से निष्कासित
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समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को पार्टी के पूर्व महासचिव अमरसिंह और उनकी करीबी समर्थक जयप्रदा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निकाल दिया, वहीं अमरसिंह ने भविष्य की योजनाओं पर अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं।

पार्टी अध्यक्ष मुलायमसिंह यादव की अध्यक्षता में सपा संसदीय बोर्ड की बैठक लखनऊ में हुई, जिसमें अमरसिंह और रामपुर से लोकसभा सदस्य जयप्रदा को पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया गया। पार्टचाविधायकोी निलंबित कर दिया है

पार्टी का कहना था कि सामाजिक छवि बिगाड़ने में लगे लोगों को पार्टी से मुक्त करने का फैसला किया गया है। पार्टी प्रवक्ता मोहनसिंह ने कहा कि यह बीमारी और फैले, उससे पहले पार्टी ने एक सुधारात्मक सर्जरी करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी अमरसिंह और जयप्रदा की संसद सदस्यता समाप्त करवाने के लिए क्रमश: राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिकाएँ प्रस्तुत करेगी।

निष्कासन मेरे लिए वरदान : करीब 14 साल तक सपा में रहकर उसका प्रमुख चेहरा बन चुके अमरसिंह ने पार्टी के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक तरह से उनके लिए वरदान है और वे आजादी का आनंद लेंगे।

बसपा, कांग्रेस या राकांपा में से किसी में शामिल होने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर अमरसिंह ने कहा कि उन्होंने इनमें से किसी से भी बात नहीं की है। सिंह ने निष्कासन के लिए मुलायमसिंह के प्रति आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि भले ही मैं पार्टी के साथ रहूँ या न रहूँ, मैं उनका काफी सम्मान करता हूँ।

54 वर्षीय अमरसिंह ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की थी और बाद में सपा में आ गए तथा कई बॉलीवुड हस्तियों और अनिल अंबानी जैसे उद्योगपतियों को इस पार्टी से जोड़ा। उन्होंने छह जनवरी को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पार्टी महासचिव पद छोड़ दिया था।

राज्यसभा सीट नहीं छोड़ूँगा : अमरसिंह ने बागी तेवर दिखाते हुए राज्यसभा सीट छोड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने राज्यसभा सीट हासिल की है और यह मुझे किसी के दयादान में नहीं मिली है। मैं सीट नहीं छोड़ूँगा। यहाँ तक कि जब मैंने कुछ दिन पहले मुलायमसिंह यादव से बात की थी तो उन्होंने भी मुझे ऐसा करने को नहीं कहा था।’

सपा का अंदरूनी मामला : कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने सपा से अमरसिंह को निकाले जाने को उसका ‘अंदरूनी मामला’ करार दिया और कहा कि सपा अपने सांसदों के साथ क्या करती है, यह पूरी तरह उसका विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा कि समाजवादी रुझान के समर्थकों और पूँजीवादी सोच के समर्थकों के बीच कभी न कभी संघर्ष होना अवश्यंभावी है।

अमरसिंह के मुखर आलोचक और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने पूर्व सपा नेता के कांग्रेस में शामिल होने की किसी भी संभावना से इनकार किया। उन्होने कहा कि कांग्रेस कोई रद्दी की टोकरी नहीं है। उधर कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह ने लखनऊ में कहा कि सपा के निष्कासित नेता ने अभी तक पार्टी से संपर्क नहीं किया है।