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Written By ND

एनसीआरबी रिपोर्ट: रोज 60 बलात्कार, हर घंटे 15 आत्महत्या...

मौत के आंकड़े दिखा रहे हैं आईना!

एनसीआरबी रिपोर्ट: रोज 60 बलात्कार, हर घंटे 15 आत्महत्या... -
देश प्रगति कर रहा है, सड़कें बन रही हैं और उस पर विदेशी गाड़ियाँ दौड़ रही हैं। महिलाओं के उत्थान और बेटी बचाने की बात भी हो रही है, पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़े देश को आईना दिखा रहे हैं। प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए हम यह क्या कर रहे हैं? इस बात पर विचार करना जरूरी है। प्रापर्टी के झगड़ों से आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह कि महिलाओं पर अत्याचार कम होने का नाम नहीं ले रहे! जिस देश में प्रतिदिन 239 पुरुष और 130 महिलाएं आत्महत्या कर रहे हैं। यह सामाजिक रूप से विचार करने की जरूरत है।

घरेलू झगड़ों के कारण आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ रही हैं। अच्छी सड़कें बनने के बाद देश में सड़क दुर्घटनाएँ बढ़ी हैं। पुलिस की स्वप्रेरणा कहीं नजर नहीं आ रही! वह अपराध दर्ज करना ही नहीं चाहती। वहीं देश में मई माह में और शाम 6 से 9 के बीच सबसे ज्यादा दुर्घटना होने के आँकड़े भी गौर करने लायक हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट ने कई राज्यों के दावों की पोल खोल दी। अपराध के मामले में उत्तर भारत के राज्यों को इस रिपोर्ट ने जिस तरह से आईना दिखाया है, वह गौर करने वाली बात है। देश में सबसे ज्यादा हत्याओं के लिए उत्तरप्रदेश अव्वल है। पुलिस फायरिंग में पहले नंबर पर कश्मीर घाटी रही। बलात्कार और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं में मध्यप्रदेश ने सबको पीछे छोड़ दिया। देशभर में दर्ज हुए कुल आपराधिक मामलों में मध्यप्रदेश राज्य को चौथा नंबर मिला है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 35 शहरों के तुलनात्मक आँकड़ों में राजधानी दिल्ली सभी अपराधों के तुलनात्मक आँकडों में पहले नंबर पर रही। 35 बड़े शहरों के अपराध रिकॉर्ड के तुलनात्मक अध्ययन के मुताबिक इंदौर को पहला और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को तीसरा स्थान मिला है।

महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के अपराधों में त्रिपुरा पहले नंबर पर रहा। बच्चों पर अत्याचार के मामले में भी मध्यप्रदेश ने सबको पीछे छोड़ दिया! उसके बाद दूसरे व तीसरे नंबर पर दिल्ली और महाराष्ट्र रहे।

देश में सबसे ज्यादा मामले केरल (442.1) में दर्ज हुए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के तुलनात्मक आँकडों के मुताबिक 2009 की तुलना में देश में 2010 में अपराध का ग्राफ 4.9 फीसद ऊपर उठा है।

स्वप्रेरणा के तहत देश में 2010 में 37 लाख 78 हजार 549 मामले दर्ज किए गए। इस श्रेणी में भी मध्यप्रदेश फिसड्डी साबित हुआ। 2010 में मध्यप्रदेश देश का ऐसा इकलौता राज्य साबित हुआ, जहाँ पुलिस ने स्वप्रेरणा के तहत एक भी मामला दर्ज नहीं किया!

देश में हत्या की घटनाओं में भी इजाफा हुआ। 2009 में देशभर में कुल 32 हजार 369 लोगों की हत्या की गई, जबकि 2010 में ये संख्या बढ़कर 33 हजार 335 पर जा पहुँची, जो 2009 की तुलना में 3 फीसद ज्यादा रही।

दुर्घटनावश एवं आत्महत्याओं के कारण मानव जीवन की क्षति में जहाँ 7.7 फीसद की बढ़ोतरी हुई, वहीं सड़क हादसों में 5.5 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

2010 में देश में पुलिस फायरिंग की कुल 1 हजार 421 घटनाएँ घटीं। इनमें से सबसे ज्यादा फायरिंग की घटनाएँ (662) जम्मू-कश्मीर में हुईं। इस श्रेणी में देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश 445 की संख्या दर्ज कराकर दूसरे स्थान पर रहा।

पुलिस फायरिंग में सबसे अधिक लोग जम्मू-कश्मीर (91) में मारे गए, जबकि, फायरिंग की घटनाओं में सबसे ज्यादा पुलिसकर्मियों की मौत के मामले में छत्तीसगढ़ (68) पहले नंबर पर रहा!

महिला उत्पीड़न व दुष्कर्म के मामले में मध्यप्रदेश का नंबर अब भी पहला ही है। पिछले तीन सालों से यह स्थिति चली आ रही है। बच्चों पर अत्याचार के मामलों में भी मप्र लगातार दूसरे साल अव्वल बना हुआ है। दर्ज अपराधों की दर में इस साल भी राज्य का स्थान चौथा बना।

2010 में जनवरी से दिसंबर के बीच मप्र में 3135 महिलाएँ दुष्कर्म का शिकार हुईं, जबकि महिला उत्पीड़न के 6646 मामले दर्ज हुए। देश में घटित ऐसी कुल आपराधिक वारदातों का यह क्रमशः 14.1 और 16.4 प्रतिशत है। इसी तरह बच्चों पर अत्याचार के दर्ज मामलों में मप्र (18.4 प्रतिशत) पहले स्थान पर है।

हर घंटे 15 आत्महत्या: देश में हर घंटे 15 लोग आत्महत्या करते हैं। आत्महत्या करने वालों में 69.2 फीसद शादीशुदा होते हैं, जबकि 30.8 फीसद अविवाहित होते हैं। जारी आँकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले हर पाँच लोगों में एक गृहिणी होती है। आत्महत्या करने वाले ज्यादातर पुरुष सामाजिक और आर्थिक कारणों से ऐसा करते हैं, जबकि महिलाओं के आत्महत्या करने का कारण भावनात्मक एवं निजी होता है।

2010 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में देश में 1,34,599 लोगों ने आत्महत्या की। आत्महत्या करने वाले करीब 70.5 फीसद विवाहित पुरुष थे, जबकि 67 फीसद महिलाएँ विवाहित थीं।

आत्महत्या करने वाले 41.1फीसद लोग स्वरोजगार से जुड़े थे। सिर्फ 7.5 फीसद बेरोजगार थे। साठ साल और इससे अधिक उम्र में आत्महत्या करने वाले लोगों में 65.8 फीसद लोग केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के थे। आत्महत्या करने वाले कुल लोगों में से पारिवारिक कारणों से 23.7 फीसद और बीमारी से 21 फीसद ने आत्महत्या की।

संपत्ति विवाद के कारण 48 फीसद और नजदीकी व्यक्ति की मत्यु के कारण 28.9 फीसद ने अपने जीवन को खत्म किया। देश में औसतन रोजाना 341 लोग आत्महत्या करते हैं।