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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 14 नवंबर 2010 (20:30 IST)

छवि बदलने में लगी है कैग

छवि बदलने में लगी है कैग -
सरकारी धन के इस्तेमाल की जाँच करने वाली संवैधानिक संस्था नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) गलतियाँ ढूँढ़ने वाले संस्थान की अपनी छवि को बदलकर अपने को जनता के बीच राष्ट्र निर्माण में सहायक संस्था के रूप में पेश करेगी।

कैग की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कल से यहाँ विज्ञान भवन में दो दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया है। इसमें दूसरे दिन 16 नवंबर को राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल कैग पर एक स्मारक डाक टिकट जारी करेंगी।

कैग संस्था की पहचान बनाने के लिए हाल में इसका एक लोगो (पहचान चिह्न) भी जारी किया गया है। कैग विनोद राय ने लोगो जारी किए जाने के अवसर पर कहा था कि इस संस्था को आम जनता एक ‘गलतियाँ ढूँढ़ने वाली संस्था' के तौर पर जानती है, लेखा परीक्षा का यह एक हिस्सा है, लेकिन संस्थान हमेशा से ही जबावदेही और बेहतर संचालन की चिंता को ही अपनी प्रेरणा मानता रहा है।

उन्होंने कहा कि हम अपने काम को सभी संबद्धपक्षों तक पहुँचा रहे हैं और यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि हम किस तरह राष्ट्र निर्माण में मदद करा सकते हैं। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार कैग की स्थापना के 150 वर्ष पूरा होने पर प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह इस मौके पर भारतीय लेखापरीक्षा और लेखा विभाग पर उसकी दृष्टि और मिशन पर एक वक्तव्य जारी करेंगे।
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी, दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा तथा संसद में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी समारोह के प्रमुख वक्ता होंगे।

वर्ष 1860 को अस्तित्व में आने के बाद पिछले 150 वर्षों से कैग अपनी इस जिम्मेदारी को निभाता आ रहा है। वर्ष 1860 में सर एडमंड ड्रमोन्ड को पहला महालेखारीक्षक नियुक्त किया गया था। अगस्त 1948 में वी. नरहरि राव स्वतंत्र भारत के पहले नियंत्रक एवं महालेखपरीक्षक बने। (भाषा)