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Written By भाषा

माला सिन्हा दादा साहब फालके पुरस्कार लेने नहीं पहुंचीं

माला सिन्हा दादा साहब फालके पुरस्कार लेने नहीं पहुंचीं -
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मुंबई। गुजरे जमाने की मशहूर अदाकारा माला सिन्हा दादा साहब फालके पुरस्कार समारोह में नहीं पहुंचीं क्योंकि वे अपने प्रति पुरस्कार समिति के असम्मान से आहत थीं

उन्हें मंगलवार को दादा साहब फालके पुरस्कार ग्रहण करना था लेकिन निमंत्रण पत्र पर उनका और उन्हें दिए जाने वाले पुरस्कार का कोई जिक्र नहीं था।

माला सिन्हा ने कहा, मुझे कहा गया है कि मुझे फालके अकादमी पुरस्कार मिल रहा है लेकिन यह बिलकुल चौंकाने वाली बात है कि मेरा नाम ही नहीं था और कौनसा पुरस्कार मुझे मिलेगा, उसका भी जिक्र नहीं था। मैंने तो पुरस्कार नहीं मांगा, उन्होंने ही मुझे यह देने का निर्णय लिया। मुझे पता नहीं कि मुझे कौनसा पुरस्कार मिल रहा है, यह बहुत अपमानजनक है। मैं खुद को ठगा महसूस कर रही हूं।

‘प्यासा’ (1957), ‘धूल का फूल’ (1959), ‘दिल तेरा दिवाना’ (1962), ‘गुमराह’ (1963), ‘हिमालय की गोद में’ (1965), ‘आंखें’ समेत 100 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुकीं माला सिन्हा ने कहा कि दादा साहब फालके पुरस्कार के लिए उनके नाम की घोषणा जानी मानीं गायिका आशा भोसले और दिवंगत फिल्मकार यश चोपड़ा के नाम के साथ की गई थी।

उन्होंने 25 अप्रैल को पुरस्कार की घोषणा संबंधी संवाददाता सम्मेलन में भी हिस्सा लिया और वे यह पुरस्कार मिलने से काफी रोमांचित थीं। (भाषा)