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Written By ND
Last Modified: भोपाल , गुरुवार, 7 मई 2009 (11:18 IST)

मेरिट में प्रथम फिर भी प्रवेश नहीं

मेरिट में प्रथम फिर भी प्रवेश नहीं -
आपने कभी सोचा है कि मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्र को भी उसकी मनमाफिक सीट पर प्रवेश न मिला हो। लेकिन यह करिश्मा हुआ है वर्ष 2009 की प्रीपीजी काउंसिलिंग में।

प्रीपीजी परीक्षा द्वारा एमडीएस की मैरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले डॉ. सतीश मैना को भी उनकी इच्छानुसार सीट नहीं दी गई। छात्र द्वारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर बुधवार को कोर्ट ने प्रमुख सचिव और संचालक चिकित्सा शिक्षा को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस पीके जायसवाल की खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए प्रमुख सचिव और संचालक चिकित्सा शिक्षा से जवाब माँगा है। कोर्ट ने पूछा है कि मेरिट में प्रथम आने वाले छात्र को किस आधार पर मनमाफिक सीट पर प्रवेश नहीं दिया गया।

गौरतलब है कि मेडिकल और डेंटल पीजी डिग्री और डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12 अप्रैल को प्रीपीजी परीक्षा का आयोजन किया गया था। इसका परिणाम 20 अप्रैल को आया।

डेंटल पीजी एमडीएस की मेरिट में जबलपुर के डॉ. सतीश मैना ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। वे 29 अप्रैल को काउंसिलिंग में पहुँचे और ऑर्थोडेंटिस्ट्री में प्रवेश लेने की इच्छा जताई। प्रदेश के डेंटल कॉलेज में ऑर्थोडेंटिस्ट्री में पीजी की केवल एक ही सीट है। लेकिन काउंसिलिंग कमेटी ने उन्हें इस सीट पर यह कहते हुए प्रवेश देने से इंकार कर दिया कि यह सीट आरक्षित है।

डीएमई के नेतृत्व में बनी काउंसिलिंग कमेटी ने डॉ. मैना के स्थान पर डॉ. सपना जैन को प्रवेश दे दिया। इससे व्यथित डॉ. मैना ने प्रवेश ही नहीं लिया। डॉ. मैना द्वारा लगाई गई याचिका पर बुधवार को कोर्ट ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की पैरवी एडवोकेट आदित्य ने की।

चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. वीके सैनी ने कहा कि ऑर्थोडेंटिस्ट्री की सीट महिला के लिए आरक्षित है। इसीलिए एक महिला को ही इस पर प्रवेश दिया गया। कोर्ट से मिले निर्देशों का सम्मान करेंगे।