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Written By DW
Last Modified: मंगलवार, 8 मई 2012 (21:06 IST)

रॉनी के रंग में रंगा स्नूकर

रॉनी के रंग में रंगा स्नूकर -
यूं तो स्नूकर का खेल लाल और नीली पीली गेंदों के लिए जाना जाता है। लेकिन बीते सालों में इसे रॉनी ओसुलिवन ने नई पहचान दी है। वैसी ही, जैसी कभी पेले ने फुटबॉल को और सचिन ने क्रिकेट को दी। वह फिर वर्ल्ड चैंपियन बने हैं

स्नूकर को लेकर खबरें कम ही बनती हैं। भारत का कोई ऐसा खिलाड़ी भी नहीं, जिसके नाम पर चर्चा हो जाए। वर्ल्ड चैंपियनशिप तो हर साल होती है लेकिन इस बार जरा खास थी। फाइनल में रॉनी ओसुलिवन नाम का सितारा चमक रहा था, जिसने 17 दिन लंबे टूर्नामेंट में एक भी हार नहीं देखी थी। स्नूकर के खिलाड़ियों के बीच भले ही रॉनी नापसंद किए जाते हों, लेकिन स्नूकर समझने वाला भला कौन सा शख्स होगा, जो रॉनी को न चाहता हो।

निर्विकार भाव से कोर्ट पर आना और अपने शॉट खेल कर फटाफट फ्रेम निपटा देना, रॉनी की यही फितरत रही है। स्नूकर की दुनिया में कहा जाता है कि उन्हें कोई नहीं हरा सकता, वह सिर्फ खुद अपनी हार तय कर सकते हैं। आमतौर पर गुस्सैल रवैये वाले ओसुलिवन ने इस बार की जीत के बाद सौम्यता बरती।

खिताबी शॉट लगाने के बाद उन्होंने अपने बेटे को बाहों में उठा लिया और कहा, 'मुझे नहीं मालूम था कि 36 साल के हो जाने के बाद मैं एक और विश्व कप जीत सकता था या नहीं। ऐसा करना बहुत अच्छा लगता है।'

फाइनल में उन्होंने अपने ही देश इंग्लैंड के अली कार्टर को आसानी से हरा दिया। स्नूकर के मैच लंबे होते हैं और कई बार एक मैच दो दो दिन चलता है। लेकिन अगर रॉनी जैसा खिलाड़ी हो और स्नूकर में मामूली दिलचस्पी भी हो, तो मजा आ जाता है।

कार्टर कहते हैं, 'मुझे तो लग ही नहीं रहा था कि मैं खेल रहा हूं। मैं तो शुरू से ही दबाव में आ गया था।' इस जीत के साथ ही पिछले 11 साल में रॉनी के नाम यह चौथा खिताब लग गया। इससे पहले वह 2001, 2004 और 2008 में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत चुके हैं। पिछली बार भी उन्होंने अली कार्टर को ही हराया था।

कौन हैं रॉनी : इंग्लैंड के रॉनी को स्नूकर इतिहास के सबसे बड़े खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है। तेजी से शॉट खेलने की वजह से उन्हें रॉकेट भी कहा जाता है। लेकिन खेल के दौरान अचानक नाराज हो जाने या खेल बीच में छोड़ कर चले जाने की वजह से वह सुर्खियों में भी रहे हैं। स्नूकर में सबसे ज्यादा 147 अंक बनाने की संभावना रहती है और रॉनी ने यह कारनामा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 11 बार कर दिखाया है।

कैरम या क्रिकेट की तरह स्नूकर खेलने वाले भी लेफ्ट हैंडर या राइट हैंडर होते हैं। लेकिन रॉनी के साथ बात जरा अलग है। वह दोनों हाथों से बराबरी के स्तर का खेल दिखा सकते हैं।

मैच खेलते वक्त वह स्नूकर स्टिक आम तौर पर दाहिने हाथ में थामे रखते हैं। लेकिन अचानक उसे बाएं हाथ में लेकर दमदार शॉट खेल जाते हैं। सामने वाला खिलाड़ी अगर हक्का बक्का रह जाए, तो इसमें उनका क्या कसूर। स्नूकर के खिलाड़ी उनकी अक्खड़ शैली की वजह से रॉनी को पसंद नहीं करते लेकिन खेल उन्हें दर्शनीय बनाता है।

स्नूकर कोर्ट के बाहर भी रॉनी की शख्सियत विवादों में घिरी है। उन्हें कभी नशे का लती समझा गया और एक बार तो उन्हें महत्वपूर्ण खिताब भी नशे की वजह से गंवा देनी पड़ी। लेकिन भला उनके धुआंधार खेल के आगे ऐसी बातें कहां मायने रखती हैं।

क्या है स्नूकर : स्नूकर का खेल कैरम से मिलता जुलता है। गोटियों की जगह गेंदें होती हैं। 15 लाल, एक एक पीली, हरी, भूरी, नीली, गुलाबी और काली। इन सब गेंदों के पिलाने के लिए एक नियम बना है। लकड़ी की आयताकार विशाल हरी मेज पर लकड़ी की छड़ीनुमा स्टिक से दो खिलाड़ी सभी गेंदों को स्नूकर टेबल के छह छेदों में डालने की कोशिश करते हैं।

एक फ्रेम में कोई भी खिलाड़ी ज्यादा से ज्यादा 147 अंक हासिल कर सकता है। विश्व कप फाइनल में ऐसे 35 फ्रेम खेले जाते हैं। कई बार एक एक फ्रेम पूरा होने में आधे से पौना घंटा लग जाता है। यह बात अलग है कि रॉनी ने एक फ्रेम सिर्फ पांच मिनट 20 सेंकड में पूरा किया है। वह भी पूरे 147 अंकों के साथ।

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ (एएफपी)
संपादनः ओ सिंह