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Written By DW

बदलेगी सुंदरबन की तस्वीर और तकदीर

बदलेगी सुंदरबन की तस्वीर और तकदीर -
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सुंदरबन में अफ्रीका जैसी सफारी की योजना, दो साल अभयारण्यों के बाद एक और सेंचुरी बनाने का आदेश दिया गया है और इस योजना को स्वीकृति भी मिल गई है। क्या नई योजना से बदलेगी सुंदरबन की तकदीर।

सुंदरबन अब तक बाघों के हमलों, घटते जंगल और आइला जैसे समुद्री तूफान से होने वाली तबाही की वजह से सुर्खियां बटोरता रहा है। लेकिन अब राज्य सरकार ने अफ्रीकी सफारी के तौर पर इसके विकास की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल में इस इलाके का दौरा किया था। उसके बाद इसी सप्ताह इलाके में एक नए वाइल्ड लाइफ पार्क को मंजूरी दी गई है। सरकार ने इस इलाके के विकास के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है। सुंदरबन की बस्तियों में रहने वाले लाखों लोगों को अब तक जानवरों के हमलों, ईंधन और खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। अब शायद उनकी भी किस्मत संवर जाएगी।

अफ्रीका की तर्ज पर : मुख्यमंत्री ममता ने सुंदरबन इलाके का दौरा किया। उन्होंने कहा, 'हम अफ्रीका में होने वाली जंगल सफारी जैसी सुविधा सुंदरबन में भी पर्यटकों के लिए शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। इलाके में पर्यटकों की तादाद बढ़ने की स्थिति में यहां होटल, बाजार और दुकानें तो बढ़ेंगी ही, इलाके में परिवहन व्यवस्था भी मजबूत होगी।'

ममता का कहना है कि सुंदरबन में पर्यटन के लिहाज से काफी संभावनाएं हैं। लेकिन इस पर पूरी इमानदारी से काम नहीं किया गया है। दिल्ली से विशेषज्ञों की एक टीम इलाके का दौरा कर चुकी है। वह इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देने के उपाय सुझाएगी। ममता का आरोप है कि राज्य की पूर्व वाम मोर्चा सरकार ने इस इलाके के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया।

कठिन है जीवन : सुंदरबन इलाके में स्थित सैकड़ों बस्तियों में जीवन बेहद कठिन है। इलाके में न तो खेती की सुविधा है और न ही ईंधन की। ऐसे में आम लोग जंगल की लकड़ियां काट कर ही इसकी व्यवस्था करते हैं। जंगल कटने की वजह से बाघ और चीते जैसे खतरनाक जानवर अक्सर इन बस्तियों पर धावा बोलते रहते हैं। आधारभूत ढांचे के अभाव में इलाके में पर्यटन की संभावनाएं विकसित नहीं हो सकी हैं। पर्यटक इस इलाके में आते तो हैं। लेकिन अब भी उनकी तादाद अपेक्षा से कम ही है। मैनग्रोव जंगलों, खतरनाक जानवरों व दुर्लभ किस्म की वनस्पतियों वाले इस इलाके में देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की अपार क्षमता है।

आइला की बर्बादी : मई, 2009 में आए आइला तूफान ने सुंदरबन इलाके में भारी तबाही मचाई थी। उसके बाद यहां पर्यटकों की आवाजाही भी कम हो गई थी। आइला तूफान से हुए नुकसान के बाद इस इलाके पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उस तूफान से इलाके में सैकड़ों लोगों और हजारों पशुओ की मौत हो गई थी। इसके अलावा हजारों लोग बेघर हो गए थे। मुख्यमंत्री ने वादा किया है कि अगले दो साल के भीतर सागर द्वीप में बिजली पहुंच जाएगी और मछुआरों के लिए हजारों नए मकान बनाए जाएंगे। साथ ही साढ़े चार सौ नए ट्यूबवेल लगाने का एलान किया जाता है।

टास्क फोर्स का गठन : सुदंरबन इलाके को विश्व पर्यटन के नक्शे पर अहम स्थान दिलाने के लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। ममता कहती हैं, मैंने सुंदरबन में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए योजना आयोग व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत की है। उन्होंने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। प्रधानमंत्री ने इलाके के विकालस के लिए जरूरी धन मुहैया कराने का भरोसा दिया है। इलाके के विकास के लिए गठित टास्क फोर्स में पर्यटन के अलावा जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी, इंजीनियरिंग और सुंदरबन विकास विभाग के प्रतिनिधि शामिल हैं। सरकार ने इलाके में एक ईको टूरिज्म हब विकसित करने की भी योजना बनाई है।

वाइल्ड लाइफ सेंचुरी : फिलहाल यहां 462 वर्ग किलोमीटर के इलाके में सुंदरबन वाइल्ड लाइफ सेंचुरी स्थापित करने की योजना को हरी झंडी दिखा दी गई है। सुंदरबन बायोस्फियर रिजर्व के निदेशक प्रदीप व्यास कहते हैं, ‘इस नई सेंचुरी से क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने में काफी सहायता मिलेगी।'

वैसे, इलाके में पहले से तीन और ऐसे अभयारण्य हैं। सरकार ने अब सुंदरबन इलाके के मछुआरों के लिए समुद्र में जाने से पहले लाइसेंस लेने को अनिवार्य करने पर भी विचार कर रही है ताकि जंगल में अवैध घुसपैठ रोकी जा सके।

व्यास बताते हैं, ‘फिलहाल यहां के साढ़े तीन हजार मछुआरों को यह लाइसेंस दिया जा रहा है। सरकार ने सुंदरबन इलाके में वनकर्मियों की तादाद बढ़ाने का भी फैसला किया है ताकि जंगल से बाघ व चीता जैसे खतरनाक जानवरों के बस्तियों में घुसने की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।' सरकार की ताजा पहल से प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद बरसों से उपेक्षित सुंदरबन की तकदीर अब शायद संवर सकती है।

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः आभा एम