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Written By DW
Last Modified: शुक्रवार, 17 जनवरी 2014 (12:10 IST)

बच्चे पहन रहे हैं जहर बुझे कपड़े

बच्चे पहन रहे हैं जहर बुझे कपड़े -
FILE
पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस को बाजार में बिकने वाले बच्चों के कपड़ों और जूतों में हानिकारक रसायन मिले हैं। इन कपड़ों को बनाने वाली कंपनियां कोई ऐरी गैरी नहीं बल्कि दुनिया भर में पहचाने जाने वाले बड़े बड़े ब्रांड हैं।

ग्रीनपीस को दर्जनों ब्रांड वाले कपड़ों में ऐसे हानिकारक रसायन मिले हैं जो मानव प्रजनन, हार्मोन या इम्यून सिस्टम पर बुरा असर डाल सकते हैं। संगठन ने इस जांच के लिए एडिडास, अमेरिकन एपेरल, बरबरी, सीएंडए, डिज्नी, गैप, एचएंडएम, ली-निंग, नाइकी, प्राइमार्क, प्यूमा और यूनिक्लो जैसे ब्राडों के उत्पाद लिए।

इन कपड़ों को जिन पदार्थों के लिए टेस्ट किया गया उनमें से कुछ की मात्रा प्रति किलो में एक मिलीग्राम से भी कम पाई गई। संगठन ने प्रति किलो में एक मिलीग्राम को 'खोज की सीमा' माना था। ग्रीनपीस के विवरण में यह पता नहीं चल पाया है कि कुल सैंपलों में से कितने इस 'खोज की सीमा' से ऊपर थे।

ग्रीनपीस की ओर से पूर्वी एशिया में अभियान चलाने वाले ची आन ली ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, 'उन सभी माता पिताओं को एक बड़ा भयावह अनुभव होगा जब वे अपने बच्चों के लिए ऐसे कपड़े खरीदना चाहेंगे जिनमें हानिकारक रसायन न हों।' ली कहते कि हैं कि ये रासायनिक 'छोटे दानव' कहीं भी पाए जा सकते हैं, 'खास लक्जरी डिजाइन हों या सस्ते फैशनेबल कपड़े, ये रसायन हर जगह मौजूद हैं और बीजिंग से लेकर बर्लिन तक सभी जलमार्गों को प्रदूषित कर रहे हैं।'

कुल जांचे गए कपड़ों में करीब 61 फीसदी उत्पादों में नॉनिलफिनॉल इथॉक्सिलेट्स या एनपीई पाए गए। संगठन ने बताया कि यह रसायन टूट कर जहरीले 'हार्मोन विघटकों' में बदल जाता है। कुछ उत्पादों में प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाले पीएफओए की भारी मात्रा भी पाई गई।

इस पर्यावरण संगठन ने पहले भी ऐसे तथ्य ढूंढे हैं। 2012 में ग्रीनपीस ने बीजिंग में एक 'टॉक्सिक' फैशन शो का आयोजन भी किया था। उस शो का मकसद भी कपड़ों में पाए गए हानिकारक रसायनों की तरफ लोगों का ध्यान खींचना था। 2012 में टेस्ट किए गए दो तिहाई ब्रांडेड कपड़ों में उन्हें जहरीले रसायनिक पदार्थ मिले थे। दो साल पहले हुई इस जांच में ग्रीनपीस ने कुल 82 उत्पादों का परीक्षण किया जो 12 अलग अलग देशों में बनाए गए थे। हानिकारक रसायनों वाले 29 सैंपल चीन में बनाए गए थे।

इस पर्यावरण संगठन का कहना है कि इस तरह के नतीजे सामने लाने का मकसद कपड़ा कंपनियों पर इस बात के लिए दबाव बनाना है कि वे 2020 तक अपने उत्पादों में इन सभी हानिकारक चीजों के उत्सर्जन को बंद करने की तरफ काम करे।

- आरआर/आईबी (एएफपी)