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Written By DW

गंगा में 11000 मछलियाँ डाली गईं

गंगा में 11000 मछलियाँ डाली गईं -
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भारत में पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी भयानक प्रदूषण का शिकार हो चुकी है। हालत इतनी बदतर है कि अब गंगा नदी में बाहर की मछलियाँ डालनी पड़ रही हैं ताकि नदी की कलकल धारा जिंदा रह सके।

जैव विविधता के लिहाज से मर चुकी नदी गंगा में फिर से प्राण फूँकने के लिए 11000 मछलियाँ भागीरथी में डाली गईं। प्रदूषण को कम करने के मकसद से एक गैर सरकारी संगठन ने 20 अलग-अलग प्रजाति की मछलियों का सहारा लिया है। निषाद समुदाय के सदस्यों के मुताबिक यह मछलियाँ नदी में घुले कचरे और कीटाणुओं को साफ करेंगी।

भारत में गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अब तक हजारों करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन नदी की हालत जस की तस है। सरकारी महकमों पर अनदेखी का आरोप लगाने वाले स्वंयसेवी संगठन अब खुद नदी के बचाव के लिए आगे आने लगे हैं।

ऐसी योजना है कि इस साल गंगा को साफ करने के लिए एक लाख मछलियाँ डाली जाएँगी। नदी के आकार के लिहाज से यह संख्या अब भी काफी कम है। लेकिन संगठनों को उम्मीद है कि इसका कुछ तो असर होगा ही।

सरकार भी अब नई किस्म की प्राकृतिक तकनीक का सहारा ले रही है। गंगा के किनारे जहरीले कचरे को सोखने वाले पौधे लगाए जाने की योजना है। गंगा एक्शन प्लान के तहत छह किस्म की तकनीकों पर विचार चल रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष वाराणसी का दौरा कर चुके हैं। उनके मुताबिक शहरों की सीवेज लाइनें और फैक्टरियों की गंदगी अब भी बड़ी समस्या हैं।

रिपोर्ट: एजेंसियाँ/ओ सिंह