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Written By भाषा

सचिन तेंदुलकर 175 रनों की पारी कुर्बान करने को तैयार

सचिन तेंदुलकर 175 रनों की पारी कुर्बान करने को तैयार -
नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर को हैदराबाद में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन की धांसू पारी के बावजूद भारत को जीत नहीं दिला पाने का मलाल आज भी है और उन्होंने कहा कि उन्हें जीत के लिए इस पारी को कुर्बान करने में भी हिचकिचाहट नहीं होती।
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तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच नवंबर 2009 को हैदराबाद के उप्पल स्टेडियम में खेले गए पांचवें एकदिवसीय मैच में 141 गेंदों का सामना करके 19 चौकों और चार छक्कों की मदद से 175 रन की जोरदार पारी खेली थी। उनकी इस पारी के बावजूद भारत तीन रन से मैच हार गया था।
नवाबों के शहर में कई यादगार पारियां खेलने वाले इस स्टार बल्लेबाज ने अपनी इस पारी के बारे में बीसीसीआई टीवी में लिखा है, ‘यह निश्चित तौर पर मेरी सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक थी लेकिन मैं जीत के लिये उन 175 रनों को खुशी खुशी कुर्बान कर देता।’

तेंदुलकर ने कहा कि अक्सर उनसे शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाये दो शतकों से इस पारी की तुलना के बारे में कहा जाता है लेकिन यह दोनों अलग अलग परिस्थितियों में बनी थी। उन्होंने कहा, ‘कुछ अवसरों मुझसे 175 रन की पारी की तुलना इसी टीम के खिलाफ 1998 में शारजाह में लगाए गए लगातार दो शतकों (143 और 134 रन) से करने के लिए कहा जाता है। मुझे नहीं लगता कि तुलना की जा सकती है। शारजाह में त्रिकोणीय श्रृंखला के आखिरी चरण में अपेक्षाएं बहुत अधिक थी। हैदराबाद का शतक द्विपक्षीय श्रृंखला के बीच में लगाया गया था, इसलिए शारीरिक और मानसिक तौर पर परिस्थितियां बहुत भिन्न थी।’

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्तमान श्रृंखला का दूसरा टेस्ट मैच 2 मार्च से हैदराबाद में खेला जाएगा जहां से तेंदुलकर की कई अच्छी यादें जुड़ी हुई हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन की पारी के अलावा न्यूजीलैंड के खिलाफ खेली गयी 186 रन की बेहतरीन पारी भी शामिल है।

तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 175 रन की पारी के बारे में लिखा है कि भारत के लिए वह काफी महत्वपूर्ण मैच था क्योंकि जो भी टीम जीत दर्ज करती वह 3-2 से बढ़त हासिल करती जबकि हारने वाली टीम पर दबाव बढ़ जाता।

उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करके आक्रामक रवैया अपनाया तथा शेन वॉटसन और शान मार्श ने पहले विकेट के लिए 145 रन की साझेदारी की। जब उन्होंने चार विकेट पर 350 रन बनाए तो कई ने हमारी जीत की उम्मीद छोड़ दी थी।

तेंदुलकर के अनुसार बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए अच्छी बात यह होती है कि रणनीति को लेकर आप किसी तरह से असमंजस में नहीं होते। हम जानते थे कि हमें शुरू से ही स्ट्रोक खेलने होंगे। मुझे महसूस हुआ कि मैं गेंद को सही टाइमिंग से नहीं खेल पा रहा हूं और इसलिए मैंने बल्ला बदला। मैंने पूरी तरह से नया बल्ला लिया और इससे पूरी परिस्थिति बदल गई।

उन्होंने कहा ऑस्ट्रेलिया का गेंदबाजी आक्रमण बहुत अच्छा था। मैं अपने स्ट्रोक अच्छी तरह से खेल रहा था। हमारा मध्यक्रम नाकाम रहा लेकिन सुरेश रैना पूरे लय में बल्लेबाजी कर रहा था। हमने 137 रन की अच्छी साझेदारी की।

भारत जब लक्ष्य से 19 रन पीछे थे तब तेंदुलकर क्लाइंट मैकाय की गेंद पर नाथन हारिट्ज को कैच थमा दिया था। मास्टर ब्लास्टर ने लिखा है कि वह इससे काफी निराश थे। उन्होंने कहा, ‘तब हम केवल 19 रन पीछे थे जब मैकाय की गेंद शॉट फाइन लेग पर उठाकर मारने की कोशिश की लेकिन हारिट्ज को कैच दे बैठा। मैं बहुत निराश था। निचले क्रम के बल्लेबाजों ने काफी कोशिश की लेकिन विकेट गिरते रहे और हम तीन रन से मैच हार गए।’

तेंदुलकर ने हैदराबाद से अपने लगाव के बारे में लिखा है, ‘हैदराबाद के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम से मेरी कुछ खुशनुमा यादें जुड़ी हुई हैं। यही वह मैदान था जहां मैंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 1999- 2000 में 186 रन बनाए थे। नए राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में बेहतर सुविधाएं हैं। मैदान बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित है तथा खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों के लिए बेहतर सुविधाएं हैं।’ (भाषा)