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Written By वार्ता

शतक ठोककर मनाया जयसूर्या ने जन्मदिन

शतक ठोककर मनाया जयसूर्या ने जन्मदिन -
श्रीलंका के विस्फोटक ओपनर सथ जयसूर्या बांग्लदेश के खिलाफ सोमवार को तूफानी शतक ठोककर बड़ी धूमधाम के साथ अपना 39वाँ जन्मदिन मनाया। इसके साथ ही वह एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक शतक बनाने के मामले में दूसरे स्थान पर पहुँच गए।

आज 39 वर्ष के हो गए जयसूर्या ने अपनी बढ़ती उम्र को पीछे छोड़ते हुए बांग्लादेश के खिलाफ सुपर फोर दौर के मैच में मात्र 88 गेंदों पर 16 चौकों और छह छक्कों की मदद से 130 रन की तूफानी पारी खेली। इस पारी के दौरान वह उसी अंदाज में खेल रहे थे जिस अंदाज में वह 1996 के विश्वकप के समय में खेला करते थे।

यह उनके एकदिवसीय करियर का 26वाँ शतक था और इसके साथ ही वह ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग की बराबरी पर दूसरे स्थान पर पहुँच गए। पोंटिंग के 301 मैचों में 26 शतक हैं जबकि जयसूर्या के 414 मैचों में 26 शतक हैं।

एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक शतकों का रिकॉर्ड भारत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर के नाम हैं, जिन्होंने 417 मैचों में 42 शतक बनाए हैं। एकदिवसीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने और सर्वाधिक मैच खेलने के मामले में वह सचिन के बाद दूसरे नंबर पर हैं।

जयसूर्या का एशिया कप में यह सातवां शतक था। वह एशिया कप में सर्वाधिक शतक बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम रखते हैं। एशिया कप में जयसूर्या ही एकमात्र ऐसे बल्लेबाज हैं,जिन्होंने इसमें एक हजार से ज्यादा रन बनाए हैं।

जयसूर्या के एशिया कप में 25 मैचों में 57.04 के औसत से 1312 रन हैं। एशिया कप में उनके बाद दूसरे नंबर पर सचिन हैं जिनके 20 मैचों में 49.93 के औसत से 799 रन हैं1 जयसूर्या ने बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी में भी अपनी बाएँ हाथ की स्पिन का जादू दिखाया है। वह अब तक एकदिवसीय मैचों में 310 विकेट लेकर सर्वाधिक वनडे विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में नौवें स्थान पर हैं।

भारत में हाल में हुए आईपीएल से नया जीवन पाने वाले श्रीलंका के इस खब्बू बल्लेबाज ने दिखाया है कि उम्र का उन पर कोई असर नहीं है और वह गेंदबाजों को अपना कातिलाना अंदाज में आज भी तबियत से पीट सकते हैं।

जयसूर्या ने इस पारी के साथ ही अपने 12500 रन भी पूरे कर लिए हैं। उनके अब 414 मैचों में 12520 रन हैं। 26 दिसंबर 1989 को मेलबोर्न ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना एकदिवसीय करियर शुरू करने वाले जयसूर्या अब क्रिकेट के मैदान में 18 वर्ष से ज्यादा का समय गुजार चुके हैं। उनमें रन बनाने की आग बढ़ती उम्र के बावजूद आज भी बरकरार है और वह नई पीढ़ी के बल्लेबाजों के लिए एक उदाहरण बन गए हैं।