दादा का आलोचकों पर दमदार वार
वेबदुनिया डेस्क ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सिरीज से पहले सौरव गांगुली का क्रिकेट करियर खत्म माना जा रहा था। ईरानी ट्रॉफी के लिए नहीं चुने जाने पर इस बात पर मुहर लग गई थी कि गांगुली को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सिरीज के लिए टीम से बाहर रखा जाएगा। लेकिन इस सिरीज में दादा की वापसी हुई। दबी जबान में गांगुली के चयन को बोर्ड और गांगुली के बीच समझौता माना जा रहा था। चयन के बाद गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेकर इस तथाकथित समझौते की चर्चा को पुख्ता बना दिया।गांगुली के पास अपनी छाप छोड़ने का यह अंतिम मौका था और उन्होंने इसे भुनाते हुए मोहाली टेस्ट में शतक और नागपुर टेस्ट में पहली पारी में 85 रनों की पारी खेलकर अपने आलोचकों के मुँह पर ताला लगा दिया। अब जबकि दादा अपना आखिरी टेस्ट खेल रहे हैं और बेहतरीन फॉर्म दिखा रहे हैं तो हर कोई उनकी सराहना कर रहा है। दादा के दमदार प्रदर्शन से उनके समर्थक माँग कर रहे हैं कि वे खेलना जारी रखें, लेकिन वे अपने निर्णय पर कायम हैं।गांगुली ने निर्णायक मौकों पर बेहतरीन पारियाँ खेलकर कई बार वाहवाही बटोरी है। वे चैपल विवाद के बाद टीम से अंदर-बाहर होते रहे और उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से वापसी भी की है।गांगुली एक ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने अपने आक्रमक नेतृत्व और मैदान में विरोधी टीमों पर हावी रहने की कला से भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दी है। तमाम आलोचनाओं और अटकलों के बीच गांगुली ने फिर से खुद को साबित करके बताया है कि वे एक चैंपियन खिलाड़ी हैं।अपने करियर की अंतिम टेस्ट सिरीज में गांगुली ने दमदार प्रदर्शन करके अपने आलोचकों को बताया है कि वे सिर्फ नाम के ही टाइगर नहीं हैं।