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Written By भाषा

तेंदुलकर और द्रविड़ विरोधी बनकर मिले, विरोधी बनकर जुदा

तेंदुलकर और द्रविड़ विरोधी बनकर मिले, विरोधी बनकर जुदा -
नई दिल्ली। वह 10 अक्टूबर 1993 का दिन था, जब पहली बार क्रिकेट के दो सितारे एक साथ क्रिकेट के मैदान पर उतरे थे। सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ नाम के ये दो शख्स तब आमने-सामने थे।
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संयोग देखिए कि उस अनजान-सी घटना के ठीक 20 साल बाद ये दोनों महान बल्लेबाज एक-दूसरे के विरोधी खेमों में खेलकर जुदा हो रहे हैं और यह ऐतिहासिक क्षण है। तेंदुलकर और द्रविड़ भारत ही नहीं, विश्व क्रिकेट की दो किंवदंतियां हैं।

इन दोनों का क्रिकेट के मैदान पर पहला मिलन राजकोट के म्यूनिसिपल स्टेडियम में 10 अक्टूबर 1993 को हुआ था। दलीप ट्रॉफी के इस मैच में तेंदुलकर पश्चिम क्षेत्र और द्रविड़ दक्षिण क्षेत्र की तरफ से खेल रहे थे।

तेंदुलकर जब मैच के पहले दिन शाम को क्रीज पर उतरे तो द्रविड़ संभवत: क्षेत्ररक्षण के अपने सबसे प्रिय स्थान स्लिप में खड़े रहे होंगे। द्रविड़ को तब भी तेंदुलकर के विकेट की दरकार थी और 20 साल बाद भी उनकी यही तमन्ना है।

इन 20 वर्षों में हालांकि दुनिया ने तेंदुलकर और द्रविड़ को प्रतिद्वंद्वी कम और साथी के रूप में अधिक देखा। आखिर 146 टेस्ट और 245 एकदिवसीय मैचों में उन्होंने एक-दूसरे का साथ दिया। टेस्ट मैचों में 6,920 रन एक-दूसरे के साथ मिलकर जोड़े। किन्हीं दो बल्लेबाजों के बीच साझेदारी का यह विश्व रिकॉर्ड है।

लंबा रहा दोनों का साथ... अगले पन्ने पर...


द्रविड़ ने तेंदुलकर को टेस्ट मैचों में 12,586 रन और 40 शतक लगाते हुए देखा। दूसरी तरफ तेंदुलकर भी द्रविड़ के 11,894 टेस्ट रनों और 34 शतकों के गवाह रहे। इन दोनों ने 50 टेस्ट मैचों में जीत का मिलकर जश्न मनाया तो 44 ऐसे अवसर भी आए जब उन्हें एक-दूसरे के साथ मिलकर हार का गम भुलाना पड़ा।

अपने शुरुआती वर्षों में एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी के रूप में मैदान पर उतरने वाले तेंदुलकर और द्रविड़ पहली बार 28 दिसंबर 1995 को एक टीम में खेले। तेंदुलकर तब तक बड़ा नाम हो गया था और उन्हें चैलेंजर ट्रॉफी के लिए भारत ए टीम का कप्तान बनाया गया था। द्रविड़ को उनकी टीम में शामिल किया गया था।

संयोग से सौरव गांगुली भी उस टीम का हिस्सा थे। इस मैच के लगभग 3 महीने बाद 3 अप्रैल 1996 को श्रीलंका के खिलाफ सिंगापुर के पेडांग में पहली बार तेंदुलकर और द्रविड़ ने एकसाथ भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। इसके ढाई महीने बाद इंग्लैंड के खिलाफ ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर ये दोनों दिग्गज टेस्ट मैचों में भी साथी बन गए थे।

एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी तेंदुलकर और द्रविड़ की जुगलबंदी खूब दिखी। दोनों ने मिलकर 98 वनडे में 4,117 रनों की साझेदारी की। इनमें 11 शतकीय साझेदारियां भी शामिल हैं। इन दोनों ने न्यूजीलैंड के खिलाफ 8 नवंबर 1999 को हैदराबाद में दूसरे विकेट के लिए 331 रन जोड़े थे, जो आज भी विश्व रिकॉर्ड है।

द्रविड़ की मौजूदगी में तेंदुलकर ने वनडे में 9,743 रन और 28 शतक बनाए। इस बीच तेंदुलकर ने भी द्रविड़ को 7,858 वनडे रन और 8 शतक तथा 63 अर्धशतक लगाते हुए देखा। इन दोनों ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ सर्वाधिक 43 मैच खेले।

अब चैंपियंस लीग टी-20 का फाइनल वह आखिरी मैच माना जा रहा है जिसमें तेंदुलकर और द्रविड़ एकसाथ मैदान पर विराजमान रहे। संयोग देखिए कि क्रिकेट के इस छोटे प्रारूप में इन दोनों महान खिलाड़ियों को कभी एक-दूसरे का साथी बनने का मौका नहीं मिला। वे टी-20 में जब भी एकसाथ मैदान पर उतरे तो एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी ही रहे।

कितने मैचों में अलग अलग खेले सचिन और द्रविड़... अगले पन्ने पर...


यह भी कम दिलचस्प नहीं है कि इस बार चैंपियंस लीग की शुरुआत इन दोनों दिग्गजों की टीमों के मुकाबले से हुई और समापन भी इन दोनों की टीमें कर रही हैं। तेंदुलकर पिछले साल वनडे और इस साल के शुरू में आईपीएल से संन्यास ले चुके हैं।

तेंदुलकर अब अपना पूरा ध्यान टेस्ट मैचों पर लगाना चाहते हैं। वे इस साल नवंबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ 200वां टेस्ट मैच खेलकर नई उपलब्धि हासिल करेंगे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को पहले ही अलविदा कह चुके द्रविड़ भी संभवत: अब आगे प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेलेंगे। वे पहले ही इसका संकेत दे चुके हैं।

तेंदुलकर और द्रविड़ भले ही प्रतिद्वंद्वी के तौर पर क्रिकेट के मैदान पर से एक-दूसरे से विदाई ले रहे हों लेकिन 20 साल में इन ये दोनों केवल 18 बार एक-दूसरे के आमने-सामने रहे। (भाषा)