रिलायंस-बीपी सौदे से मदद मिलेगी: सरकार
पेट्रोलियम मंत्रालय का मानना है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज-बीपी के बहुचर्चित सौदे से देश के तेल एवं गैस क्षेत्र में विदेशी फर्मों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और अब नई उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) में अधिक विदेशी कंपनियाँ रुचि दिखाएँगी।पेट्रोलियम सचिव एस सुंदरेशन ने कहा कि यह सौदा भारत में विशेषकर पूर्व तटीय क्षेत्र में तेल एवं गैस भंडारों की बड़ी संभावनाओं का प्रमाण है।यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी बीपी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 23 ब्लॉकों में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी 7.2 अरब डॉलर में खरीदने का सौदा कल किया। भारत सरकार इस समय नेल्प के नौंवे चरण के लिए कंपनियों को आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।सुंदरेशन ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की दो भूमिकाएँ हैं। एक नियामक की तथा दूसरा नए प्रयोग तथा विकास को बढ़ावा देने वाली संस्था की। उन्होंने कहा कि अगर यह सौदा सिरे चढ़ता है तो इसके अनेक सकारात्मक असर होंगे। यह संभवत: देश के किसी क्षेत्र में सबसे बड़ा एकल एफडीआई होगा। सौदे पर अनेक नियामकीय तथा सरकारी मंजूरी ली जानी है।ओएनजीसी के चूकने का फायदा रिलायंस को : यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी बीपी के साथ रणनीतिक भागीदार करने की सरकारी कंपनी ओएनजीसी की योजना के परवान न चढ़ने का फायदा रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ है। ओनजीसी के प्रस्ताव को पेट्रोलियम मंत्रालय ने खारिज कर दिया था।रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कल बीपी के साथ 7.2 अरब डॉलर का एक बड़ा सौदा किया है। इसके तहत ब्रिटेन में पंजीकृत बीपी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के 23 तेल एवं गैस ब्लॉकों में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए कल 7.2 अरब डॉलर के करार की घोषणा की। बीपी की आगे इस भागीदारी में कुल 20 अरब डॉलर का निवेश की योजना है और करने में सफलता पाई है इसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है। (भाषा)