काल दरों में गिरावट तथा कारोबार में बढ़ते खर्च के कारण घरेलू दूरसंचार कंपनियों के मुनाफे पर आने वाले दिनों में भी दबाव बना रहेने का अनुमान है।
एडलवेइस कैपिटल की एक अनुसंधान रिपोर्ट में कहा गया है कि काल दरों को कम से कम करने की जंग तथा लागत बढ़ने का बड़ा असर दूरसंचार क्षेत्र पर पड़ा है। हमें लगता है कि शुल्क की लड़ाई फिर छिड़ेगी तथा प्रतिस्पर्धा और कड़ी होगी। इससे कंपनियों की मार्जिन दबाव में बनी रहेगी
पिछले दस माह में टेलीफोन काल दरों में स्थिरता रही है, लेकिन प्रति मिनट आय (आपीएम) 22 प्रतिशत कम हुई है।
विश्लेषक का मानना है कि 31 अक्टूबर से मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) के कार्यान्वयन तथा 3जी सेवाओं की शुरुआत से शुल्क दरों की लड़ाई फिर शुरू हो सकती है।
आमतौर पर यह धारणा है कि 3जी के मूल्य निर्धारण में कंपनियाँ तार्किक रुख अपनाएगी लेकिन इसके लिए ग्राहक जुटाना भी बड़ा मुद्दा है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। कंपनियों पर अधिक से अधिक ग्राहक बनाने का दबाव रहेगा।
बाजार विशेषज्ञ कह रहे हैं कि एमएनपी कार्यान्वयन का इस्तेमाल आइडिया, एयरसेल तथा टाटा डोकोमो जैसी कंपनियाँ भारती एवं वोडाफोन के ग्राहकों को तोड़ने के लिए कर सकती हैं। (भाषा)