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Written By भाषा

दुनियाभर में बढ़ी बेरोजगारों की संख्या-आईएलओ

दुनियाभर में बढ़ी बेरोजगारों की संख्या-आईएलओ -
वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी का सबसे ज्यादा असर युवाओं पर पड़ा है। इस मंदी की वजह से दुनियाभर में बेरोजगार युवाओं की संख्या बढ़ी है। पिछले साल के अंत तक तो यह रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गई।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कहा है कि वैश्विक बेरोजगारी दर रिकॉर्ड स्तर पर है और आने वाले समय में इसमें और वृद्धि हो सकती है।

आईएलओ की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2009 की समाप्ति पर 15 से 24 वर्ष की उम्र के दुनिया भर में कुल 62 करोड़ युवाओं में से 8.1 करोड़ बेरोजगार थे।

रिपार्ट में कहा गया है कि आर्थिक संकट के दौरान बेरोजगारी दर में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है। आर्थिक संकट से पहले जहाँ बेरोजगारी दर 11.9 फीसदी थी वहीं संकट के बाद यह बढ़कर 2010 में 13.1 फीसदी हो गई।

रिपोर्ट के अनुसार कि कुछ विकसित एंव उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बेरोजगारी के रूप में सर्वाधिक असर युवाओं पर हुआ और इसके कारण अन्य प्रकार की सामाजिक समस्याएँ सामने आई। बड़ी उम्र के लोगों के मुकाबले युवाओं पर प्रभाव अधिक रहा। वर्ष 2008 की तुलना में 22009 में जहाँ युवाओं में बेरोजगारी दर 1.0 फीसदी बढ़ी वहीं उम्रदराज लोगों में यह 0.5 फीसदी ही बढ़ी।

पुन: दूसरे युवाओं के बाजार में आने से मंदी के समय रोजगार गँवाने वालों की समस्या और बढ़ी है। साथ ही रोजगार पाने के मामले में युवाओं के मुकाबले युवतियों को ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2009 में जहाँ महिलाओं में बेरोजगारी दर 13.2 फीसदी रही वहीं पुरुषों के मामले में यह 12.9 फीसदी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में जहाँ 90 फीसदी युवा आबादी रहती है, वहाँ युवाओं की स्थिति और बदतर है। कम वेतन से उन्हें गरीबी समेत कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

आईएलओ महानिदेशक जुआन सोमाविया के अनुसार, 'विकासशील देशों में संकट से गरीबों का दैनिक जीवन काफी प्रभावित हुआ।' रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दुनियाभर की कुल युवा आबादी का 28 प्रतिशत अथवा 15 करोड़ 20 लाख युवा आबादी घोर गरीबी में काम कर रहे हैं। वर्ष 2008 में इस आबादी ने सवा डॉलर प्रति व्यक्ति प्रतिदन से भी कम पर गुजारा किया। (भाषा)