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Written By ND

छँटनी के दौर में एक अनूठी कोशिश

छँटनी के दौर में एक अनूठी कोशिश -
आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बहुत से बच्चे कॉलेज की शिक्षा पूरी होने यानी स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद भी बेरोजगार घूमते हैं या फिर कोई छोटी-मोटी नौकरी करने को मजबूर हो जाते हैं। कारण, उनके पास आज के दौर में नौकरी की जरूरत को पूरा करने की तकनीकी योग्यता नहीं होती। साथ ही व्यक्तित्व और कम्युनिकेशन स्किल के मामले में भी ये बच्चे पिछड़ जाते हैं।

ऐसे में मंदी और छँटनियों के इस दौर में इंस्टीट्‍यूट ऑफ कंप्यूटर एंड फाइनेंस एग्जिक्यूटिव्स (आईसीएफई) ने गरीब और निचले तबके के ग्रैजुएट बच्चों को आज के दौर की जरूरत के हिसाब से शिक्षा और रोजगार दिलाने की एक अनूठी पहल 'कोशिश' की शुरुआत की है।

इस पहल के तहत आईसीएफई आर्थिक रूप से पिछड़े, अल्पसंख्यक समुदाय, पिछड़े वर्ग और एससी-एसटी वर्ग के दो हजार ग्रैजुएट बच्चों को ऐसा प्रशिक्षण मुहैया कराएगी कि ये बच्चे भी आज के दौर में वित्तीय क्षेत्र की जरूरत को पूरा कर सकेंगे और आसानी से नौकरी पा सकेंगे। अपने इस कार्पोरेट सामाजिक दायित्व यानी सीएसआर को आईसीएफई ने कोशिश यानी प्रयास का नाम दिया है।

आईसीएफई के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक संतोष मंगल ने विशेष बातचीत में कहा कि देश का निजी क्षेत्र आरक्षित वर्ग के बच्चों को नौकरियाँ देना चाहता है। लेकिन मामला यहाँ आकर फँस जाता है कि बेशक इन बच्चों ने स्नातक की डिग्री हासिल की हो, लेकिन वे आज के दौर के हिसाब से नौकरी की जरूरत पूरी नहीं कर पाते। यही वजह है कि हमने 2009-10 में ऐसे दो हजार बच्चों को आज के दौर के हिसाब से वित्तीय क्षेत्र का प्रशिक्षण देने का फैसला किया है। इसके लिए बकायदा आईएफसीई ने भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ के सहयोग से विशेष पाठ्यक्रम तैयार कराया है।

इन बच्चों को न केवल व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा, बल्कि यह भी देखा जाएगा कि किस तरह से उनके व्यक्तित्व और कम्युनिकेशन स्किल यानी किसी के सामने अपनी बात रखने की क्षमता का विकास हो। मंगल मानते हैं कि कोशिश के तहत प्रशिक्षण पाने वाले बच्चे बैंकिंग, बीमा, कर, म्यूचुअल फंड और एकाउंटिंग जैसे क्षेत्रों में काम करने की योग्यता हासिल कर सकेंगे।

उन्होंने कहा कि आज भी देश में स्किल्ड मैनपावर की काफी कमी है। बेशक तमाम दुनिया पर मंदी की मार पड़ी हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र पर मंदी का असर नहीं पड़ा है। वित्तीय क्षेत्र में आज भी नौकरियों की भरमार है।

मंगल ने कहा कि हम इस कार्यक्रम के तहत दो हजार बच्चों को प्रशिक्षण देंगे। इनमें से 400 बच्चे एनसीआर के होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रशिक्षण पूरी तरह मुफ्त होगा, उन्होंने कहा कि हम बच्चों से 5000 रुपए की सिक्योरिटी मनी लेंगे, जो प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें लौटा दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि अगर बच्चों से कुछ भी राशि नहीं ली जाएगी, तो वे इसे गंभीरता से नहीं लेंगे। ऐसे में जो बच्चा प्रशिक्षण के दौरान 90 फीसदी की उपस्थिति पूरी करेगा और 60 प्रतिशत अंक लाएगा, उसे यह राशि लौटा दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि देश के प्रमुख उद्योग घरानों मसलन टाटा, अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एजीएजी), माइक्रोसॉफ्ट इंडिया और सिस्को ने हमारी इस पहल कोशिश में भागीदारी की बात कही है। हमारी उनसे इस मसले पर बातचीत चल रही है।