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परीक्षा लेती है परीक्षा
परीक्षा लेती है परीक्षा,कभी कठिन कभी सरल।कदम-कदम पर होती परीक्षा,कभी ठोस कभी तरल।उधार की पूँजी से,नहीं चलता है काम।अपनी ही पूँजी से,मिलता सुयश और नाम।परीक्षा के होते हैं,कितने ही रूप-रंग।कभी लिखित कभी मौखिक,तो कभी प्रकृति के संग।हर मौसम लेता है परीक्षा,कभी हवा गरम तो कभी नरम।बड़ी-बड़ी सुनामी लहरें,तोड़ देती हैं सारे भरम।परीक्षा ही परीक्षा में,बीत जाता सारा जीवन।कभी मिलता विष ही विष,तो कभी मिल जाता संजीवन।