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Written By WD

भीनमाल में रचा अनूठा कीर्तिमान

72 जिनालय मंदिर में हुई प्राण-प्रतिष्ठा

Bhinmal JainTirth | भीनमाल में रचा अनूठा कीर्तिमान
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21वीं सदी के जैन इतिहास में अनूठा कीर्तिमान बन गया, जब विशाल जनसमूह के बीच सोमवार को भीनमाल (राजस्थान) के 72 जिनालय मंदिर में 108 प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई। श्रद्धा व आस्था का ऐसा अद्भुत नजारा पहली बार दिखा। ज्योतिष सम्राट मुनिश्री ऋषभचंद्र विजयजी का सपना साकार हुआ।

इस मंदिर निर्माण का सपना सुमेरमलजी लुक्कड़ ने देखा था। जिनका दो वर्ष पूर्व निधन हो गया। तीर्थ प्रेरक ज्योतिष सम्राट मुनिश्री ऋषभचंद विजयजी विद्यार्थी महोत्सव को अविस्मरणीय बनाने के लिए छः माह से भी अधिक समय से भीनमाल में रुके हुए हैं। आयोजक परिवार के रमेश शाह (लुक्कड़) द्वारा मुनिश्री का यह सपना साकार हो गया।

राजस्थान के भीनमाल में लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ 72 जिनालय महातीर्थ में 14 फरवरी को प्राण प्रतिष्ठा एक साथ एक प्रांगण में हुई। इस मंदिर का निर्माण करीब 15 वर्ष में पूरा हुआ है। तीन वर्ष से 500 मजदूर नियमित काम कर रहे हैं। मंदिर के फर्श पर अत्यंत आकर्षक व बहुरंगी नक्काशी की गई है।

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जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ को मूलनायक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इसका नाम श्री लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ 72 जिनालय रखा गया। यहाँ जैन इतिहास में प्रथम मर्तबा पूर्व 24 तीर्थंकरों, वर्तमान 24 तीर्थंकरों व आगामी 24 तीर्थंकरों के मंदिर एक साथ एक ही परिसर में बनाए गए हैं। इसलिए यह तीर्थ 72 जिनालय के नाम से विख्यात हो गया।

यह परिसर पूरा तीर्थ करीब सौ बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें सात मंजिली धर्मशाला भी बनी है। इसमें सर्वसुविधायुक्त 300 कमरे बनाएँ गए हैं। इसमें साधु-साध्वियों के लिए विशाल आराधना भवन व तीर्थयात्रियों के लिए भोजनशाला तैयार की गई है। इसमें एक साथ एक हजार व्यक्ति भोजन कर सकते हैं।

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राजस्थान का समृद्धशाली नगर भीनमाल पिछले 10 दिनों से धर्ममय बना हुआ था। राष्ट्रसंत आचार्य श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी, कोकण केशरी मुनिश्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी, श्री रवीन्द्रविजयजी एवं मुनिश्री ऋषभचंद्र विजयजी की पावन निश्रा में यह महोत्सव संपन्न हुआ। संपूर्ण परिसर ॐ पुण्याहम, पुण्याहम व ॐ प्रियंताम प्रियंताम के जयघोष से गुंजायमान हो गया। जिसमें तोरण स्थापना, माणिक स्तंभ स्थापना, शुभ मुहूर्त में 108 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा, 72 जिनालयों पर दंड स्थापना, कलशारोहण व ध्वजारोहण कार्यक्रम हुए।

सुरक्षा व्यवस्था के लिए मुंबई से ग्लाइडरों को विशेष रूप से भीनमाल बुलाया गया था। दोनों ग्लाइडर आकाश से लगातार सभी दूर नजर रख रहे थे।