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Written By भाषा
Last Modified: संयुक्त राष्ट्र , रविवार, 27 फ़रवरी 2011 (10:59 IST)

संयुक्त राष्ट्र ने लीबिया पर लगाए प्रतिबंध

संयुक्त राष्ट्र ने लीबिया पर लगाए प्रतिबंध -
GS
भारत सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों ने लीबिया के गद्दाफी प्रशासन पर सर्वसम्मति से कड़े प्रतिबंध लगा दिए तथा देश में हो रहे खूनखराबे की जाँच अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध के रूप में कराने के आदेश दिए।

लीबिया प्रशासन पर प्रतिबंध के लिए मतदान ऐसे समय पर हुआ जब उत्तर अफ्रीकी देश में हिंसा चरम पर है और मुअम्मर गद्दाफी के 41 साल से चले आ रहे शासन के खिलाफ पिछले दो सप्ताह से चल रहे विद्रोह को कुचलने के लिए, गद्दाफी के प्रति निष्ठा रखने वाली फौज की कठोर कार्रवाई में लोकतंत्र समर्थक 1,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका द्वारा तैयार किए गए प्रतिबंध प्रस्ताव पर कूटनीतिकों ने दिन भर काम किया जिसके बाद आज तड़के इसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।

प्रतिबंधों में 68 वर्षीय गद्दाफी तथा उनकी परिवार की संपत्तियाँ सील करना, लीबियाई नेता और उनके परिवार तथा प्रशासन के अन्य नेताओं की यात्रा पर रोक, शस्त्रों के कारोबार पर पूर्ण प्रतिबंध और हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को तत्काल एक संदर्भ भेजा जाना शामिल है।

उन्होंने लीबिया से वहाँ रह रहे विदेशी नागरिकों की उनके देश सुरक्षित रवानगी सुनिश्चित करने के लिए कहा।

प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विवाद का मुख्य कारण आईसीसी को तत्काल संदर्भ भेजा जाना था क्योंकि सुरक्षा परिषद में भारत, चीन, अमेरिका और रूस सहित कुछ देश न्यायाधिकरण के सदस्य नहीं हैं।

भारत ने हालाँकि उस समय अपना रूख नर्म कर लिया जब प्रस्ताव में इस बात के लिए संशोधन किया गया कि सुरक्षा परिषद आईसीसी की कार्रवाई को 12 माह की अवधि तक टाल सकती है।

प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि देश के गैर लीबियाई नागरिकों के खिलाफ देश में तब ही मुकदमा चलाया जा सकता है जब उन्होंने देश में कोई अपराध किया हो।

पुरी ने परिषद में कहा कि हम गहन और चरणबद्ध प्रक्रिया चाहेंगे। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के 192 सदस्यों में से 114 देश आईसीसी के सदस्य नहीं हैं।

दूत ने कहा कि भारत ने परिषद में बहुमत के पक्ष में राय जताई क्योंकि अफ्रीका और अरब देश चाहते थे कि मामला आईसीसी को भेजा जाए। शनिवार को परिषद को भेजे गए पत्र में लीबियाई राजदूत मोहम्मद शालगम ने भी यही बात कही। (भाषा)