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Written By WD
Last Modified: सोमवार, 25 मार्च 2013 (17:56 IST)

भारत का मुजरिम है परवेज मुशर्रफ...

भारत का मुजरिम है परवेज मुशर्रफ... -
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पाकिस्तान में इन दिनों एक ऐसा शख्स चर्चा में बना हुआ है जो पाकिस्तान की जम्हूरियत का कातिल है। पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ जिसने जम्हूरियत का कत्ल कर तानाशाही के खंजर से पाकिस्तान का सीना छलनी कर दिया। पिछले आठ साल से परवेज मुशर्रफ को निर्वासित जीवन जीना पड़ रहा है।

पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ को पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की हत्या में शामिल होने का संदेह जताया जाता है। ये वही शख्स है जिसे कारगिल युद्ध का मुख्य सूत्रधार माना जाता है। इसने भारत को भी लहूलुहान करने का कोई मौका नहीं गंवाया है।

भारत के खिलाफ उनकी क्या सोच है इसका पता उनके इस जवाब से चलता है कि जब उनसे पूछा गया कि करगिल घुसपैठ के पीछे उनकी क्या नीयत थी, तो पाकिस्तान के सेना प्रमुख रह चुके मुशर्रफ़ ने बिफर कर कहा कि 'वही नीयत थी, जो 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को और फिर सियाचिन को लेकर भारत की नीयत थी। तो पाकिस्तानी सेना भारत के 300 वर्ग मील क्षेत्र को अपने कब्जे में कर लेती...

परवेज मुशरर्फ ने 1999 के करगिल युद्ध को 'सैन्य दृष्टि से बड़ी सफलता' करार देते हुए दावा किया था कि अगर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ उस समय अमेरिकी दौरे पर नहीं जाते तो पाकिस्तानी सेना भारत के 300 वर्ग मील क्षेत्र को अपने कब्जे में कर लेती।

मुशरर्फ के पूर्व सहयोगी पाक सेना के रिटायर्ड कर्नल अशफाक हुसैन ने हाल ही में यह दावा किया था कि जनरल परवेज मुशर्रफ न सिर्फ भारत की सीमा में आए थे, बल्कि उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के साथ एक रात भी बिताई थी। इससे पहले रिटायर्ड कर्नल अशफाक हुसैन अपनी किताब 'विटनेस टु ब्लंडर' में भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं। हुसैन के मुताबिक मुशर्रफ एक हेलीकॉप्टर के जरिये भारतीय सीमा में घुसे थे।

यही नहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के पूर्व प्रमुख जनरल जियाउद्दीन बट्ट ने दावा किया है कि तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की पूरी जानकारी में एक पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ने ओसामा बिन लादेन को संरक्षण दे रखा था।

जिन मुजाहिदों को इस तानाशाह ने भारत की सरहद में भेजा था उन्हीं मुजाहिदों का सरपरस्त तालिबान आज इनके खून का प्यासा है। परवेज मुशर्रफ ने अमेरिका के दबाव में आतंकी संगठनों पर कठोर कार्यवाही की थी। मुशर्रफ ने पाकिस्तान की मशहूर लाल मस्जिद पर भी सैन्य कार्यवाही की थी जिसक बाद तालीबान ने उन्हें अपना दुश्मन करार देते हुए उन्हें खत्म करने की धमकी दी थी।

रावलपिंडी में दिसंबर 2003 में मुशर्रफ के काफिले पर दो बार कातिलाना हमला किया गया, लेकिन वे बच गए थे। इन हमलों में कई नागरिक और पुलिसकर्मी मारे गए थे।