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Written By भाषा
Last Modified: इस्लामाबाद , गुरुवार, 16 अगस्त 2012 (18:07 IST)

'पाकिस्तान में हिंदुओं पर हुए हैं अत्याचार'

''पाकिस्तान में हिंदुओं पर हुए हैं अत्याचार'' -
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पाकिस्तान के एक प्रमुख समाचार पत्र ने गुरुवार को अपने संपादकीय में कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले कुछ दशक में पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं पर अत्याचार हुए है

'न्यूज इंटरनेशल' ने अपने संपादकीय में कहा है कि जकोबाबाद से करीब दो सौ हिंदू परिवारों के भारत पलायन कर जाने का मुद्दा विवादास्पद है। संपादकीय के अनुसार विभिन्न हिंदू नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि सिंध प्रांत में खराब कानून व्यवस्था और जबरन धर्म परिवर्तन के भय से अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पलायन कर रहे हैं। मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था और समिति गठन करने वाले अधिकारियों ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है।

गृहमंत्री रहमान मलिक ने भी इस पूरे मामले को एक षड़यंत्र करार दिया है वहीं लरकाना की जनरल हिंदू पंचायत ने कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि पाकिस्तान की सरकार उनकी रक्षा कर सकती है इसलिए उसके सदस्य देश छोड़ कर कहीं नहीं जाएंगे।

संपादकीय में आगे कहा गया, अगर यह सच है तो बहुत अच्छा है क्योंकि हम भी चाहते है कि अल्पसंख्यक यहीं रहे और उन्हें इस बात का भरोसा हो इस देश में उनके लिए भी जगह है, लेकिन इसके बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले कुछ दशक में हिंदुओं पर अत्याचार हुए है।

संपादकीय के अनुसार पाकिस्तान के सेना प्रमुख अशरफ कयानी ने स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए अपने संदेश में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पाकिस्तान में सभी संप्रदाय और समूहों को रहने की आजादी होनी चाहिए। संपादकीय के अनुसार सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में हाल के कुछ वर्षो में हिंदुओं के अपहरण अत्याचार और उन्हें डराने धमकाने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। इस कारण बहुत से हिंदू अपनी जगहों को छोड़ कर जाने के लिए मजबूर हो गए।

उन्होंने कहा कि सिंध प्रांत में सदियों से हिंदू और मुसलमान शांति एवं सौहार्द्र के वातावरण में रह रहे थे, लेकिन कुछ वर्षों से यहां तनाव पैदा होने लगा जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।

संपादकीय में आगे कहा गया कि इस समस्या का हल निकालने के साथ ही यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एक ऐसा वातावरण तैयार हो जिससे हिंदू या अन्य अल्पसंख्यक समुदाय को अपना देश छोड़कर कहीं जाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़े। (भाषा)