गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. अंतरराष्ट्रीय
Written By भाषा
Last Modified: कोलंबो (भाषा) , शुक्रवार, 16 जनवरी 2009 (23:37 IST)

तमिल समस्या के लिए समझौता अहम

तमिल समस्या के लिए समझौता अहम -
भारत-श्रीलंका शांति समझौते को द्वीप में लंबे समय से चले आ रहे स्थानीय लोगों के संघर्ष के राजनीतिक हल के लिए अहम मानते हुए श्रीलंका ने शुक्रवार को कहा कि लिट्टे के खिलाफ उसके सुरक्षा बलों की निर्णायक जीत ने वर्ष 1987 के इस समझौते के कार्यान्वयन के लिए अवसर के द्वार खोल दिए हैं।

श्रीलंका के विदेश मंत्री रोहित बोगोल्लागामा ने भारत के विदेश सचिव शिवशंकर मेनन के साथ बैठक के दौरान यह बात कही। मेनन श्रीलंका के दो दिन के दौरे पर गए हैं। मेनन की यात्रा को भारत की श्रीलंका के साथ अटल दोस्ती की एक झलक और द्विपक्षीय संबंधों में आई परिपवक्ता करार देते हुए बोगोल्लागामा ने साझा चिंताओं से जुड़े मुद्दों पर भारत की समझ के प्रति अपनी सरकार की ओर से धन्यवाद प्रकट किया।

उन्होंने कहा कि श्रीलंका सरकार संघर्ष का राजनीतिक हल चाहने की दिशा में भारत-श्रीलंका समझौते को महत्वपूर्ण मानती र्हैं। श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने कहा सभी मोर्चों पर लिट्टे के आतंक से लड़ने में सरकार को मिली निर्णायक जीत के साथ मौजूदा समय समझौते के कार्यान्वयन के लिए अवसरों के द्वार खोलता हैं।

श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय के वक्तव्य के अनुसार इस संदर्भ में उन्होंने (बोगोल्लागामा ने) कहा कि वर्तमान में सरकार (सत्ता हस्तांतरण से जुड़े) संविधान के 13 वें संशोधन के विविध उपाय तलाशने की प्रक्रिया में हैं।

भारत-श्रीलंका शांति समझौते पर 29 जुलाई 1987 को यहाँ तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति जे.आर.जयवर्धने ने हस्ताक्षर किए थे। समझौते की शर्तों के तहत श्रीलंका द्वीप में अपने प्रांतों में सत्ता हस्तांतरण के लिए राजी हुआ था। सैनिक उत्तर में अपने स्थानों पर लौट गए थे और तमिल विद्रोहियों को हथियार डालने थे।

श्रीलंकाई मंत्री ने द्वीप में रह रहे सभी समुदायों को स्वीकार्य लंबे समय तक कायम रहने वाली शांति हासिल करने के लिए व्यापक तथा समग्र शांति प्रक्रिया निर्मित करने की उनकी सरकार की प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया।