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Written By भाषा

जी-20 में कालेधन के खिलाफ ठोस कदम की उम्मीद

जी-20 में कालेधन के खिलाफ ठोस कदम की उम्मीद -
भारत को उम्मीद है कि दुनिया के विकसित और विकासशील देशों जी-20 के दो दिन के शिखर सम्मेलन में कालेधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर गौर किया जाएगा। विदेशों में कर चोरों की पनाहगाह माने जाने वाले कई बैंकों और द्वीपों में रखे कालेधन को स्वदेश लाने को लेकर भारत सरकार भारी दबाव में है।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने कहा कि यह मुद्दा पिछले दो साल से जी-20 के एजेंडे में है और भारत को समूह से इस मामले पर ठोस पहल की उम्मीद है।

जी-20 के यहां शुरू हो रहे शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति बाराक ओबामा, चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई प्रमुख नेता भाग ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी-20 शिखर बैठक में लगातार छठी बार भाग ले रहे हैं। जी-20 समूह की पहली शिखर बैठक अमेरिका में वर्ष 2008 में हुई थी। माना जा रहा है कि बैठक के दौरान मनमोहन कालेधन की समाप्ति के लिए कर सूचनाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान पर जोर देंगे।

दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत को जिनीवा स्थिति एक बहुराष्ट्रीय बैंक में भारतीयों के गोपनीय खातों के बारे में सूचना प्राप्त हुई है। इसके आधार पर भारतीय कर जांच एजेंसियां विदेशों में रखे गए कालेधन की जांच पड़ताल में जुटी हैं।

यह जांच कुछ सौ खातों से जुड़ी है और 3,000 करोड़ रुपए की राशि इसमें लिप्त है। अधिकारियों ने बताया कि यह जानकारी जिनीवा स्थित एचएसबीसी बैंक के खातों से जुड़ी है लेकिन यह सूचना भारत को फ्रांस से मिली है। इस बारे में अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इनकार किया।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को इस मुद्दे पर कहा कि प्राप्त जानकारी के बाद उन व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दायर होने के बाद ही नाम उजागर किये जा सकेंगे। उन्होंने कहा जब भी सूचना प्राप्त होती है, उसकी जांच पड़ताल की जाती है और मामला न्यायालय पहुंचता है, मौजूदा संधि के अनुसार उसके बाद ही नाम सामने आते हैं।

जी-20 के देशों की दुनिया के कुल उत्पादन में 85 प्रतिशत की हिस्सेदारी है और इन देशों में दुनिया की कुल जनसंख्या का दो तिहाई आबादी रहती है। भारत चाहता है कि बैठक में कर नियमों के उल्लंघन की विभिन्न स्तरों पर व्याप्त खामियों को बंद किया जाए। (भाषा)