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Written By भाषा
Last Modified: पेरिस (भाषा) , रविवार, 2 अगस्त 2009 (23:32 IST)

गोरिल्ला से मानव तक पहुँचा एचआईवी

AIDS virus | गोरिल्ला से मानव तक पहुँचा एचआईवी
फ्रांसीसी विषाणु विज्ञानियों ने कहा कि उन्होंने एड्स विषाणु की एक नई किस्म का पता लगाया है जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह किस्म गोरिल्ला से मानव तक पहुँची।

पश्चिम अफ्रीका के कैमरून की एक महिला में एड्स की यह नई किस्म पाई गई है। यह किस्म एचआईवी-1 विषाणु के परिवार से संबंधित है। एचआईवी-1 परिवार के विषाणु ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) के अधिकांश मामलों में जिम्मेदार पाए जाते हैं।

अब तक सभी विषाणुओं को सिर्फ चिम्पांजी से ही संबंधित माना जाता था। एड्स की इस नई किस्म को ‘पी’ कहा जाता है। इससे पहले एड्स की एम (सर्वाधिक पाई जाने वाली किस्म), ओ और एन (विरल किस्में) किस्में पाई जाती थीं।

इसके अलावा, एचआईवी-2 किस्म भी है, जो अल्पसंख्यक विषाणु परिवार से संबंधित है और संदेह जताया जाता है कि इसका उद्भव गैर मानव कपि से हुआ है।

पत्रिका नेचर मेडिसिन के अनुसार, इस विषाणु को 62 वर्षीय एक महिला के खून के नमूने से हासिल किया गया था, जो कैमरून से पेरिस चली गई थी।

फ्रांस की राजधानी में प्रवास करने के कुछ समय बाद 2004 में इस महिला को एचआईवी से संक्रमित पाया गया था। महिला के जब परीक्षण किए गए तो उसे एचआईवी-1 से संक्रमित पाया गया लेकिन बाद में किए गए परीक्षणों से विषाणु की किस्म के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई।

विषाणु को आनुवांशिक तौर पर ‘डिकोड’ किया गया और उसके विकास क्रम की जानकारी हासिल करने के लिए ज्ञात विषाणुओं के मुकाबले उसका एक कंप्यूटर मॉडल तैयार किया गया। इस किस्म को सिमियन इम्युनोडेफिसिएंसी वायरस (एसआईवी) कहा जाता है।