गैर जिम्मेदार छात्र थे ओबामा..
वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने स्कूली दिनों को याद करते हुए कहा कि वह अपने स्कूल के दिनों में हर सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाते थे लेकिन वह एक गैर जिम्मेदार छात्र थे। ओबामा ने कहा कि जब वह विदेश में रह रहे थे तब वह पढ़ने के लिए हर सुबह साढ़े चार से पांच बजे के बीच उठ जाते थे ताकि वह अमेरिकी स्कूली शिक्षा प्रणाली के साथ तारतम्य बिठा सके।अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हम कुछ समय के लिए देश से बाहर रहे थे, लेकिन तब भी मेरी मां ने हमेशा मुझसे कहा कि मेरे लिए शिक्षा कितनी जरूरी है। और चूंकि मैं बाहर रह रहा था, उन्हें चिंता रहती थी कि मैं पीछे छूट जाउंगा।
ठहाकों के बीच क्या बोले ओबामा...
ओबामा ने दर्शकों के हंसी के ठहाकों के बीच कहा, 'इसलिए वह मुझे सूर्योदय से पहले उठा देती थीं ताकि मैं अपने पत्राचार पाठ्यक्रम की पढ़ाई में लग जाउं जिससे अमेरिकी स्कूली शिक्षा प्रणाली के साथ मेरा तारतम्य बना रहे। और जब आप सात और आठ साल के होते हैं, सुबह साढ़ चार-पांच बजे उठना सच में अच्छा नहीं लगता।' ओबामा ने कहा कि उन्हें सुबह उठना अच्छा नहीं लगता था और वह इसे लेकर शिकायत करते थे। इसके जवाब में मां कहती थीं, 'यह मेरे लिए भी कोई पिकनिक नहीं है।' उन्होंने कहा कि वह समझती थीं कि अधिक संसाधन ना होने के बावजूद मेरे लिए और बाद में मेरी बहन के लिए अच्छी शिक्षा पाने से दुनिया में हमारे लिए अवसरों का रास्ता खुलेगा।समारोह में मौजूद छात्रों का संदर्भ देते हुए ओबामा ने कहा कि यहां जो लोग मौजूद हैं, उनकी तुलना में तब ज्यादा कठिन समय नहीं था। सिवाय इस बात के, कि मैं ज्यादा गैर जिम्मेदार था। मां के बारे में क्या बोले ओबामा...
उन्होंने कहा कि मेरा पालन पोषण सिर्फ और सिर्फ मेरी मां ने किया और मेरे नाना नानी ने मदद की। हमारे पास बहुत ज्यादा धन नहीं था और कई बार मैंने अपनी मां को संघर्ष करते देखा। उन्हें अपने दोनों बच्चों को बड़ा करना था और वह खुद भी स्कूल जाने की कोशिश करती थीं।उन्होंने शिक्षा के दौरान शिक्षकों से भी सहयोग मिलने का जिक्र करते हुए कहा कि मेरी गल्तियों के बावजूद उन्होंने मुझे आगे बढ़ाया और सिखाया ताकि मैं अपने साथ साथ परिवार, समाज और देश का बेहतर भविष्य बना सकूं।ओबामा ने अपनी पत्नी मिशेल का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि मैंने और मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी मिशेल ने उन अच्छे स्कूलों में शिक्षा हासिल की जहां जाने के बारे में हमारे अभिभावकों और हमारे दादा दादी, नाना नानी ने कभी सोचा भी नहीं होगा। (भाषा)