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Written By भाषा
Last Modified: इस्लामाबाद , मंगलवार, 8 मई 2012 (23:35 IST)

गिलानी को अयोग्य ठहरा सकती है अदालत

गिलानी को अयोग्य ठहरा सकती है अदालत -
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पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आज व्यवस्था दी कि प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ‘जानबूझकर और लगातार’ सर्वोच्च अदालत की अवज्ञा कर रहे हैं और उन्होंने न्यायपालिका को मजाक बना दिया है। इसके बाद प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी पर संसद की सदस्यता से पांच साल के लिए अयोग्य ठहराए जाने का खतरा मंडरा रहा है।

न्यायमूर्ति नसीर-उल-मुल्क की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ धन शोधन के आरोपों को लेकर स्विट्जरलैंड में दोबारा मामले खोलने के संबंध में उसके आदेशों का पालन नहीं करने पर अदालत की अवमानना का प्रधानमंत्री को दोषी ठहराने वाला 77 पन्नों का विस्तृत आदेश जारी किया।

इससे पहले, इसी पीठ ने जब गिलानी को अवमानना का दोषी ठहराया था तो एक संक्षिप्त आदेश जारी किया था। उसने गत 26 अप्रैल को गिलानी को एक मिनट से भी कम की सांकेतिक सजा दी थी। संक्षिप्त आदेश में भी पीठ ने संकेत दिया था कि गिलानी पर संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का खतरा मंडरा रहा है।

शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को जारी किए गए अपने पूर्व के आदेश का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था कि उन्हें अवमानना का दोषी ठहराए जाने पर संविधान के अनुच्छेद 63 (1) और अनुच्छेद 113 के प्रावधानों के तहत कम से कम पांच साल के लिए मजलिस-ए-शूरा (संसद) या प्रांतीय असेंबली के लिए निर्वाचित या चुने जाने और सदस्य बने रहने के अयोग्य करार दे सकता है।

सात न्यायाधीशों की पीठ ने विस्तृत आदेश में 56 वर्षीय प्रधानमंत्री को दोषी ठहराने के कारण बताए और उनके खिलाफ चलाए गए मुकदमे के दौरान दिए गए साक्ष्यों का विश्लेषण किया है। विस्तृत आदेश में कहा गया है कि पाकिस्तान के सर्वोच्च कार्यपालक ने जानबूझकर और लगातार देश की सर्वोच्च अदालत के स्पष्ट निर्देशों की अवज्ञा की है।

उसने कहा कि इस तरह की स्पष्ट और लगातार अवज्ञा इतने उच्च स्तर पर अवमानना है, जो न्याय के प्रशासन के लिए अहितकर है और यह न्यायपालिका का मजाक बनाता है। विस्तृत आदेश में कहा गया है कि अगर देश की शीर्ष अदालत के आदेश या निर्देशों की देश के सर्वोच्च कार्यपालक द्वारा अवज्ञा की जा रही है तो देश में अन्य लोग भी इस उदाहरण का अनुकरण करना चाहेंगे जिससे न्याय प्रशासन चरमरा सकता है या पंगु हो सकता और इसके अलावा ऐसा माहौल तैयार होगा जिसमें न्यायिक प्राधिकार और फैसलों का उपहास उड़ाया जाएगा। पूर्व विधि मंत्री वसीम जाफर ने मीडिया से कहा कि गिलानी का मामला अब नेशनल असेंबली या संसद के निचले सदन के स्पीकर के पास जाएगा।

उन्होंने कहा कि स्पीकर फैसला करेंगे कि मामले को मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजा जाना चाहिए या नहीं। अगर स्पीकर मामले को सीईसी को भेजने का फैसला करते हैं तो चुनाव आयोग अयोग्य ठहराने के मुद्दे पर फैसला करेगा। (भाषा)